लॉकडाउन की बरसी. सबके अपने अपने दुख. ऐसे में गुल्लू और रामू के हाथ चढ़ गए बेचारे गुप्ता जी. रामू की दुकान पर इतनी बड़ी बहस इससे पहले कभी नहीं हुई थी.