एजुकेशन लोन के भुगतान में चूक करने से छात्र के साथ को-एप्लीकेंट की मुश्किलें बढ़ जाती हैं. इससे क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है क्योंकि को-एप्लीकेंट ही इस लोन के गारंटर हैं.
एजुकेशन लोन छात्र के नाम पर होता है लेकिन उसमें गारंटर की जरूरत पड़ती है जो आमतौर पर छात्र के माता-पिता होते हैं. यह लोन बिना जमानत यानी बिना किसी सिक्योरिटी के दिया जाता है.
एजुकेशन लोन की जरूरत है तो थोड़ा पहले से ही होमवर्क करना जरुरी है. लोन के लिए योग्यता से लेकर लोन पर ब्याज का बोझ कैसे हो सकता है, जानिए इस शो में.
एजुकेशन लोन की है तैयारी तो किन बातों का रखें ख्याल? चैन की सांस में इन्हीं सवालों का जवाब दे रहे हैं सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर कल्पेश अशर
Education Loan: एजुकेशन लोन की मदद से छात्र भारत और विदेश दोनों जगहों पर कॉलेजों के लिए आवेदन कर सकते हैं, जो उनके बजट में फिट हो सकते हैं.
सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो को इंटरेस्ट रेट पर सब्सिडी देती है. जितना भी आपका मोरेटोरियम पीरियड होता है उस दौरान ब्याज सरकार चुकाती है.
पर्सनल लोन की तुलना में एजुकेशन लोन बेहद सस्ता होता है. हालांकि, कोर्स और शिक्षण संस्थानों के आधार पर बैंक ब्याज दर निर्धारित करता है.
विदेशों में उच्च डिग्री हासिल करने के लिए चुने गए आधे से अधिक लोगों ने फाइनेंशियल प्राब्लम की बात सबसे ज्यादा कही है. एक सर्वे में ये बात सामने आई है.
Education Loan: सेंट्रल सेक्टर इंटरेस्ट सब्सिडी स्कीम (CSIS Scheme) योजना को 2009 में लॉन्च किया गया और 2018 में इसे संशोधित किया गया.
एजुकेशन लोन स्टूडेंट को लंबी अवधि के लिए फायदा देता है. लोन 6.75% -14% की रेंज में मौजूद हैं. लोन लेने से पहले NBFC से इंटरेस्ट की तुलना करनी चाहिए.