आटा, मैदा, सूजी और गेहूं से बनने वाले अन्य प्रोडक्ट्स महंगे होने की आशंका फिर से बढ़ गई है. मंडियों में नई फसल के गेहूं की आवक और सरकारी एजेंसियों की खरीद के बावजूद गेहूं की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है, मई में अबतक कीमतों में करीब 100 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है. बुधवार को दिल्ली में गेहूं का थोक भाव 2395 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया. अप्रैल अंत में भाव 2300 रुपए प्रति क्विंटल से नीचे हुआ करता था.
गेहूं का भाव ऐसे समय पर बढ़ रहा है जब इस साल देश में रिकॉर्ड ऊपज का अनुमान है और मंडियों में नई फसल की आवक है. कृषि मंत्रालय ने इस साल देश में 11.21 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है, देश में पहले कभी भी इतना गेहूं पैदा नहीं हुआ. इस साल सरकार ने भी अपने अनाज भंडार के लिए किसानों से 341.5 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है और 15 मई तक वह लक्ष्य 76 फीसद पूरा हो पाया है. 15 मई तक सरकारी एजेंसियों ने किसानों से 259 लाख टन गेहूं की खरीद की है और यह खरीद 2125 रुपए प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर हुई है.
दरअसल पिछले कुछ महीने पहले देश में गेहूं का भाव रिकॉर्ड ऊंचाई पर गया था, दिल्ली में भाव 3200 रुपए प्रति क्विंटल के ऊपर पहुंच गया था. चंद महीने पहले रिकॉर्ड भाव देख चुके किसान इस साल अपनी सारी फसल नहीं बेच रहे हैं और भाव और बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं. शायद यही वजह है कि इस साल सरकारी एजेंसियों को भी गेहूं खरीद का लक्ष्य पूरा करने में मुश्किल हो रही है. ऊपर से अप्रैल के दौरान फसल कटाई के समय कुछ गेहूं उत्पादक राज्यों में हुई बेमौसम बरसात की वजह से फसल के खराब भी हुई है. उस वजह से भी गेहूं के भाव को सहारा मिल रहा है. लेकिन यह बढ़ा हुआ भाव आटा, सूजी और मैदा जैसे गेहूं से बनने वाले प्रोडक्ट्स की कीमत बढ़ा सकता है, जिस वजह से ब्रेड, बिस्कुट और नमकीन के महंगा होने की आशंका भी बढ़ जाएगी.