टमाटर से लेकर दूसरी सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं. लगातार बढ़ती कीमतों के चलते लोग परेशान हैं, लेकिन अभी उन्हें महंगाई से राहत नहीं मिलने वाली है. अनियमित मानसून के चलते हो रही बारिश से फसलें खराब हो रही है. साथ ही बुआई में भी देरी हुई है. जिसकी वजह से जून में समग्र उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) सात महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. आंकड़ों के अनुसार इसमें महीने दर महीने 12 फीसद का इजाफा देखने को मिला.
अक्टूबर तक बढ़ी रहेंगी कीमतें
आमतौर पर बाजार में फसल के आने से सब्जियों की कीमत अगस्त से कम हो जाती हैं, लेकिन इस साल व्यापारियों का मानना है कि अक्टूबर तक लागत ऊंची रहेगी. मुंबई के एक व्यापारी अनिल पाटिल का कहना है कि मानसून के चलते सब्जी की सप्लाई बाधित हो रही है. जिसकी वजह से इस साल लंबी अवधि के लिए सब्जियों की ऊंची कीमतें रह सकती हैं. प्याज, बीन्स, गाजर, अदरक, मिर्च और टमाटर जैसे खाद्य पदार्थ अगले कुछ महीनों तक महंगे रह सकते हैं.
टमाटर की कीमतों ने किया परेशान
सब्जियों में टमाटर की बढ़ती कीमतों ने सबसे ज्यादा परेशान किया है. पिछले तीन महीनों में थोक बाजार में टमाटर के भाव में 1,400% से अधिक की बढ़ोतरी देखने को मिली है. जिसके चलते ये 140 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है. टमाटर की बढ़ती कीमतों की वजह से कई घरों और रेस्तरां ने इसकी खरीदारी में कटौती की है.
बढ सकती है महंगाई
सब्जियों की ऊंची कीमतें खुदरा महंगाई दर को बढ़ा सकती है. जुलाई में इसके सात महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचने की आशंका है. इसी के साथ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से इस वर्ष दरें कम करने की संभावना भी कम हो गई है. इस बारे में आईएमए का कहना है कि बढ़ती कीमतें आरबीआई को लंबे समय तक दरें कम करने से रोक सकती हैं.
कहीं बारिश तो कहीं सूखे से खराब हुई फसल
मौसम विभाग के अनुसार, प्रमुख सब्जी उत्पादक उत्तरी और पश्चिमी राज्यों से हैं, यहां औसत से 90% अधिक बारिश हुई. वहीं कुछ पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में 47% तक कम बारिश हुई. कुछ राज्यों में हफ्तों तक बारिश नहीं हुई. बारिश की इस अनियमितता के चलते फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है.