आगामी त्यौहारी सीजन में दालों की महंगाई और भड़कने की आशंका है. मौजूदा हालात को देखते हुए तो यही लग रहा है. दरअसल, खरीफ दलहन की बुआई पिछड़ने, सप्लाई में कमी और आयात महंगा होने की वजह से दालों की कीमतों में और बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है. कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 18 अगस्त तक देशभर में खरीफ दलहन का रकबा करीब 12 लाख हेक्टेयर पिछड़ गया है. इस अवधि में देशभर में 114.93 लाख हेक्टेयर में दलहन की खेती दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 126.52 लाख हेक्टेयर था.
सबसे ज्यादा घटा उड़द का रकबा
आंकड़ों के मुताबिक चालू खरीफ सीजन में उड़द की बुआई 15 फीसद से ज्यादा पिछड़ गई है, जबकि तुअर के रकबे में 6 फीसद से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है. 18 अगस्त तक देशभर में उड़द का रकबा 30.19 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है, पिछले साल इस अवधि में 35.62 लाख हेक्टेयर में उड़द की बुआई हुई थी. वहीं तुअर की खेती 40.92 लाख हेक्टेयर में दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 43.72 लाख हेक्टेयर था.
आयात महंगा होने से दाम में बढ़ोतरी की आशंका
दालों का आयात महंगा होने की वजह से भी इनकी महंगाई में और बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है. भारत को अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए इस साल मोजांबिक से तुअर का आयात करना पड़ रहा है. वहीं भारत में सीमित सप्लाई को देखते हुए मोजांबिक के कारोबारी तुअर के भाव में रियायत नहीं दे रहे हैं.
दलहन की खेती पर क्यों पड़ रहा असर?
अगस्त के दौरान देश में सामान्य के मुकाबले कम बरसात की वजह से मानसून सीजन की औसत बरसात में गिरावट देखने को मिल रही है. अगस्त से पहले मानसून की बरसात सामान्य के मुकाबले 5 फीसद अधिक थी, लेकिन अब औसत बरसात में 6 फीसद की कमी आ चुकी है. बरसात की कमी की वजह से जलाशयों में पानी का स्तर भी कम होने लगा है. देश के प्रमुख जलाशयों में पानी का औसत स्तर पिछले साल के मुकाबले करीब 18 फीसद घट गया है. हालात में सुधार नहीं हुए तो खरीफ फसलों के साथ आगे चलकर रबी की खेती प्रभावित हो सकती है.
RBI ने अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा है कि सितंबर तिमाही के दौरान औसत महंगाई दर 6 फीसद के ऊपर रह सकती है. RBI ने यह भी कहा है कि सब्जियों की सीजनल महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सप्लाई को लेकर बड़े स्तर पर सुधार की जरूरत है. बता दें कि जुलाई के दौरान देश में औसत महंगाई दर 7.44 फीसद रही है जो 15 महीने का ऊपरी स्तर है. सब्जियां महंगी होने की वजह से महंगाई में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसके अलावा अनाज, दालें और दूध की महंगाई बढ़ने से भी महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है.