कुछ समय पहले तक उपभोक्ता महज इमरजेंसी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ब्लिंकिट, जेप्टो और इंस्टामार्ट जैसे प्लेटफॉर्म का यूज करते थे, लेकिन अब बहुत से लोग महीने का प्लान किया हुआ राशन भी इनसे मंगा रहे हैं. यहीं वजह है कि अब एफएमसीजी कंपनियां ऐसी फास्ट डिलीवरी प्लेटफॉर्म की ओर रुख कर रही हैं. हाल ही में एक बैठक में, डाबर इंडिया के सीईओ मोहित मल्होत्रा ने कहा कि इंडस्ट्री के लिए वित्त वर्ष 2025 तक लगभग 25-30 प्रतिशत ई-कॉमर्स बिक्री इन क्विक कॉमर्स प्लेटफार्मों से आने की उम्मीद है.
उन्होंने यह भी कहा कि ई-कॉमर्स और आधुनिक व्यापार बहुत अहम है. ई-कॉमर्स क्षेत्र में क्विक डिलीवरी प्लेटफॉर्म का योगदान दो वर्षों में बढ़ने की उम्मीद है. उदाहरण के लिए, ज़ेप्टो 200 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. तुरंत डिलीवरी करने वाले ऐसे सभी प्लेटफॉर्म बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. नेस्ले इंडिया जैसी पैकेज्ड फूड कंपनियों ने भी हाल की तिमाहियों में फास्ट डिलीवरी करने वाले प्लेटफार्मों पर महत्वपूर्ण वृद्धि देखी है.
बिक्री में क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म की अहम भूमिका पारले के मुताबिक ई-कॉमर्स कंपनी, बिक्री में 5 प्रतिशत का योगदान देता है और इसमें से लगभग 1.5 प्रतिशत अकेले तुरंत डिलीवरी प्लेटफार्मों से आता है. उपभोक्ता चॉकलेट, नमकीन स्नैक्स और आइसक्रीम जैसी चीजें तुरंत खरीदने के लिए ऐसे प्लेटफार्मों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इतना ही नहीं वे महीने भर के लिए नियोजित चीजें भी खरीद रहे हैं. उदाहरण के तौर पर वे ऐसे प्लेटफॉर्मों आटे के थोक पैकेट ले रहे हैं. एक्सपर्ट यह भी कहते हैं कि उपभोक्ता अपनी जरूरतों को तुरंत पूरा करने के लिए ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं.
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