पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ने के साथ ही लोगों का ध्यान इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में अगस्त के महीने में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में मासिक आधार पर करीब 9 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और इस दौरान 1,26,324 इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हुई है. वहीं सालाना आधार पर इलेक्ट्रिक वाहन की बिक्री में 43 फीसद की बढ़ोतरी देखने को मिली है.
त्योहारी सीजन करीब होने की वजह से इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री के आंकड़ों में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है. पेट्रोल और डीजल का दाम 100 रुपये के आसपास है और इसके बावजूद भविष्य में इसमें कमी की उम्मीद कम है. ऐसे में लोग वाहनों पर अपने खर्च को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं. हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़ी बहुत सी जरूरी बातें हैं जिनके बारे में खरीदारी से पहले आपको पता होना चाहिए.
टैक्स छूट का फायदा अगर कोई व्यक्ति इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए कर्ज लेता है तो वह आयकर छूट का फायदा उठा सकता है. सरकार आयकर की धारा 80EEB के तहत इलेक्ट्रिक वाहन के कर्ज के ब्याज के भुगतान पर 1.5 लाख रुपए तक की छूट ऑफर कर रही है.
रखरखाव की चिंता नहीं इलेक्ट्रिक वाहन को कम रखरखाव की जरूरत होती है. दरअसल, परंपरागत वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों में कम उपकरण होते हैं. 1 इलेक्ट्रिक वाहन के ऊपर रखरखाव का सालाना खर्च 1,000 रुपए से लेकर 2,000 रुपए के बीच हो सकती है, जबकि पेट्रोल वाहनों पर आपको करीब 4,000 रुपए से 5,000 रुपए सालाना का भुगतान करना पड़ सकता है.
इलेक्ट्रिक वाहन का इंश्योरेंस महंगा इलेक्ट्रिक वाहन के इंश्योरेंस के लिए आपको ज्यादा प्रीमियम का भुगतान करना पड़ सकता है. दरअसल, इंश्योरेंस कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों में लगी महंगी बैटरी को प्रीमियम में बढ़ोतरी का एक प्रमुख कंपोनेंट मानते हैं. दूसरी ओर अगर बैटरी खराब होने पर ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है. दरअसल, बैटरी खराब होने की स्थिति में उसके मरम्मत का कोई तरीका नहीं है.
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