भारत सरकार अन्य देशों की ही तरह मौजूदा वित्त वर्ष (Financial Year) को जनवरी-दिसंबर कैलेंडर ईयर के हिसाब से मेल करने की कोई तैयारी नहीं कर रही.
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बजट से पहले इस प्रैक्टिस की समीक्षा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिग्गजों से ये समीक्षा करने का निर्देश दिया था कि क्यों भारत 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के वित्तीय वर्ष (Financial Year) का अनुचरण करता है. इसके बाद वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने दूसरे देशों की इस पद्धति का अध्ययन किया और पाया कि भारत में किसी बदलाव की जरूरत नहीं.
Money9 से एक्सक्लुसिव चर्चा में आर्थिक मामलों के सचिव तरुण बजाज ने बताया कि इस बदलाव की जरूरत इसलिए नहीं क्योंकि भारत में बजट के अनुमानों के लिए मॉनसून की अहम भूमिका होती है.
उनके मुताबिक भारत की इकोनॉमी में अब भी 15 फीसदी हिस्सा कृषि क्षेत्र से आता है जिसकी वजह से जनवरी से वित्त वर्ष (Financial Year) शुरू करने का मतलब होगा मॉनसून का पूर्वानुमान और उसके असर की जानकारी पॉलिसी मेकर्स के पास उपलब्ध नहीं होगी.
तरुण बजाज ने कहा, “अगर हम जनवरी से शुरू करें तो हम मॉनसून के असर का माप नहीं कर पाएंगे.” उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ऐसे किसी बदलाव की तैयारी के पक्ष में नहीं है.
अमेरिकी सरकार 1 अक्टूबर से 30 सितंबर तक को वित्तीय वर्ष (Financial Year) मानती है जबकि कैनडा की सरकार 1 अप्रैल से 31 मार्च तक को ही वित्त वर्ष मानती है. ऑस्ट्रेलिया का वित्त वर्। 1 जुलाई से शुरू होकर 30 जून तक चलता है. वहीं ईरान का वित्त वर्ष अक्सर 21 मार्च से शुरू होता है और अगले साल के 20 मार्च पर खत्म होता है. कुल मिलाकर ये कि 1 जनवरी से 31 दिसंबर कैलेंडर ईयर के बतौर की अन्य देशों और बड़ी कंपनियों को स्वीकार्य है.
इससे पहले इस मामले की समीक्षा के लिए गठन की गई कमिटी ने सरकार को मौजूदा वित्तीय वर्ष (Financial Year) ही जारी रखने की हिदायत दी थी. 2004 से पहले तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बनाई इस कमिटी मामले का गहन अध्ययन किया था और पहले के ही वित्तीय वर्ष को आगे जारी रखने का फैसला लिया.
गौर करने वाली बात है कि अंग्रेजों के स्थापित बजट प्रैक्टिस में बदलाव का श्रेय BJP को ही जाता है. वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने ही 1999 में बजट (Budget) पेश करने का समय शाम 5 बजे से बदलकर सुबह 11 बजे किया था. वहीं 2017 में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने बजट पेश करने की तारीख 28 फरवरी से बदलकर 1 फरवरी किया था.
भारत की कॉरपोरेट कंपनियां, सरकार और निजी क्षेत्र की कंपनियां भी 1 अप्रैल से 31 मार्च तक का वित्तीय वर्ष (Financial Year) मानती हैं.
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