World Milk Day: दूध एक ऐसी खाद्य वस्तु जो दुनिया के लगभग सभी देशों में आसानी से उपलब्ध होती है. आज दूध (Milk) से न सिर्फ दही, घी और पनीर बल्कि अनगिनत खाद्य पदार्थ दुनिया भर में मौजूद है. दूध (Milk) और दूध से बने उत्पाद की महत्ता के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए ही हर साल एक जून को विश्व दूध दिवस मनाया जाता है. विश्व दूध दिवस यानी वर्ल्ड मिल्क डे (World Milk Day) का आयोजन पहली बार 2001 में किया गया था.
वैज्ञानिकों का कहना है कि दूध जरूरी पोषक तत्वों का प्रमुख स्रोत है. इसमें विटामिन-ए, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, आयोडिन, जिंक, फॉस्फोरस, आयरन, फोल्लेट्स, विटामिन डी, राइबोफ्लेविन, विटामिन-बी 12, प्रोटीन आदि मौजूद है. दूध शरीर को ऊर्जा देने के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है.
भारत को दुनिया में सबसे बड़े दूध उत्पादक के रूप में जाना जाता है, खासकर भैंस के दूध का. हालांकि, भारतीय बाजार में दूध की अन्य किस्मों जैसे गाय का दूध, बकरी का दूध और ऊंट का दूध भी उपलब्ध है, जिनका हर दिन भारी मात्रा में सेवन किया जाता है. भारत में दूध उत्पादन पिछले 5 वर्षों के दौरान 6.4% बढ़ा है. जुलाई 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में, 188 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन किया जा रहा है और 2024 तक दुग्ध उत्पादन बढ़कर 330 मिलियन टन तक होने की संभावना है. अभी केवल 20-25% दूध प्रसंस्करण क्षेत्र के अंतर्गत आता है और सरकार की कोशिश इसे 40% तक लेकर जाने की है. देश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की ओऱ कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं.
देश में उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य है और इस राज्य का भारत में कुल दूध उत्पादन में 17% से ज्यादा हिस्सा है. दूध जितना शरीर के लाभकारी है, वहीं उससे जुड़ा व्यापार भी लोगों को स्वरोजगार की ओर ले जा रहा है. आज के समय में बेरोजगारी दूर करने में कृषि और कृषि से जुड़े उद्योग युवाओं के लिए वरदान साबित हो रहे हैं. ऐसा ही एक डेयरी उद्योग बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मुहैया करा रहा है.
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों से दुग्ध उत्पादन में दुग्ध उत्पादन में प्रदेश पूरे देश में अव्वल है. 2017-18 में उत्तर प्रदेश में 29 हजार 52 टन दूध का उत्पादन हुआ था, जो 2018-19 में बढ़कर 30 हजार 519 टन तक पहुंच गया. गोवंश पालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने गोकुल पुरस्कार और देशी गोवंश की गाय से सर्वाधिक दूध उत्पादक को नंदबाबा पुरस्कार देने शुरू किए हैं. इसे बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ग्रीनफील्ड डेयरियों की स्थापना करने जा रही है.
निराश्रित गोवंश को संरक्षण देने के लिए प्रत्येक जिले के अंतर्गत गोवंश आश्रय स्थल खोले जा रहे हैं. प्रदेश में लगभग साढ़े पांच लाख गोवंशीय पशु संरक्षित किए गए हैं. 66 हजार से अधिक गोवंश को इच्छुक पशुपालकों की सुपुर्दगी में दिया गया है. इसका सीधा असर दुग्ध उत्पादन पर पड़ रहा है और उसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए प्रदेश सरकार कई योजनाएं चला रही है. इसमें डेयरी उद्योग में असीम संभावनाएं है और बड़ी संख्या में युवा इसे अपना रहे हैं. बागपत जनपद के सैदपुर कलां गांव निवासी वीरेंद्र त्यागी पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर है, लेकिन अब गांव में डेयरी उद्योग से जुड़ गए हैं और लाखों रुपए सालाना कमा रहे हैं. उनका कहना है कि प्रदेश सरकार की नीति के अंतर्गत उन्होंने डेयरी उद्योग शुरू किया और अब वह दूसरों की नौकरी करने की बजाय दूसरे लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं.
इस तरह मेरठ जनपद के खरखौदा ब्लॉक स्थित पांची गांव निवासी चेतन कुमार ने भी निजी स्कूल के शिक्षक की नौकरी छोड़कर डेयरी उद्योग शुरू किया और आज पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो गए हैं. इसी तरह से अनेक युवा डेयरी उद्योग से जुड़कर स्वरोजगार अपना रहे हैं.
दूध से अन्य उत्पाद बनाने के लिए दुग्ध प्लांट लगाए जा रहे हैं. इन प्लांट में दूध से बने अन्य उत्पाद दही, छाछ, घी, पनीर आदि का निर्माण किया जा रहा है। इन उत्पादों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है.
भारतीय रेलवे दूध की आपूर्ति के लिए देश में दुग्ध स्पेशल ट्रेन भी चला रही है, जिसे दूध दुरंतो नाम दिया गया है. आंध्र प्रदेश के रेणिगुंटा से दिल्ली के लिए अभी तक रेलगाड़ी कई लाख लीटर दूध लेकर पहुंच चुकी है. इसी तरह की अन्य सुपर फास्ट ट्रेनें देश के अन्य भागों के लिए चलाई जा रही हैं.
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