आने वाले दिनों में अगर रसोई गैस बिल बढ़कर आए या गाड़ी में CNG भरवाने के ज्यादा पैसे लगें, तो चौंकिएगा नहीं. क्योंकि वो जमीन तैयार हो चुकी है. जिस पर कभी भी पीएनजी या सीएनजी का रेट बढ़ सकता है. दरअसल सरकार देश में उत्पादन होने वाली नेचुरल गैस का भाव हर 6 महीने में तय करती है. पिछली बार 2.90 डॉलर प्रति यूनिट कीमत तय की गई थी. जो अक्टूबर 2021 से मार्च 20 22 तक लागू थीं. अब अप्रैल से नई कीमतें लागू हो चुकी हैं और कीमतों को तय करने का जो फार्मूला है उसके आधार भाव दोगुने से ज्यादा बढ़ाकर 6.1 डॉलर प्रति यूनिट तय कर दिया गया है. जो कीमतों का नया रिकॉर्ड है. इससे पहले देश में गैस कीमतों का अबतक का रिकॉर्ड 5.05 डॉलर प्रति यूनिट था.
दरअसल देश में जितनी नेचुरल गैस की खपत होती है. उसका लगभग आधा हिस्सा आयात करना पड़ता है. अप्रैल 2021 से फरवरी 2022 तक देश में 59611 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर गैस की खपत हुई है और 49 फीसद से ज्यादा हिस्सेदारी आयातित गैस की है. बाकी खपत होने वाली गैस का उत्पादन घरेलू स्तर पर हुआ है.
रूस और यूक्रेन के युद्ध की वजह से विदेशी बाजार में नेचुरल गैस की कीमतों में जोरदार उछाल आया है. यही वजह है कि भारत में गैस आयात करने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है और आयातित गैस का भाव बढ़ने से घरेलू दाम भी बढ़ने के आसार हैं.
अब समझिए सबसे ज्यादा असर कहां होगा? देश में खपत होने वाली कुल नेचुरल गैस का लगभग 29 फीसद हिस्सा फर्टिलाइजर इंडस्ट्री में इस्तेमाल होता है और करीब 18 फीसद बिजली तैयार करने में होती है. करीब 15 फीसद खपत ट्रांसपोर्ट तथा शहरों में घरेलू ईंधन के लिए और 13 फीसद खपत रिफाइनरी में होती है. जब दाम बढ़ेंगे तो इन तमाम जगहों पर लागत बढ़ेगी और उस बढ़ी हुई लागत का बोझ अंत में उपभोक्ताओं की जेब पर ही आएगा.