अगर आप बैंक लॉकर में कैश यानी नकद पैसे रखने की सोच रहे हैं तो एक बार फिर से सोच लीजिए. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक महिला को ऐसा करना भारी पड़ गया. महिला ने अपनी बेटी की शादी के लिए 18 लाख रुपए बैंक के लॉकर में रखे थे जिसे दीमक चट कर गई. सवाल ये उठता है कि क्या बैंक ऐसे किसी नुकसान की भरपाई के लिए जिम्मेदार हैं? इसका जवाब जानने से पहले जानते हैं कि क्या लॉकर में कैश रखा जा सकता है?
बैंक लॉकर नकदी रखने के लिए नहीं हैं. भारतीय स्टेट बैंक यानी SBI की वेबसाइट पर मौजूद रिवाइज्ड सेफ डिपॉजिट लॉकर एग्रीमेंट के मुताबिक, केवल वैध उद्देश्यों जैसे ज्वैलरी और दस्तावेज जैसे कीमती सामान रखने के लिए लॉकर का इस्तेमाल किया जा सकता है, कैश या करेंसी के लिए उपयोग नहीं कर सकते हैं.
यही नहीं, एग्रीमेंट के हिसाब से हथियार, विस्फोटक या कोई प्रतिबंधित सामग्री, खराब या नष्ट होने वाली सामग्री, रेडियोएक्टिव मटेरियल या ऐसी सामग्री जिसके इस्तेमाल पर कानूनी रूप से रोक हो या ऐसी सामग्री जिससे बैंक या उसके किसी ग्राहक को खतरा हो उसे भी बैंक लॉकर में नहीं रखा जा सकता है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने इस संबंध में अगस्त 2021 में ‘सेफ्टी डिपॉजिट लॉकर’ शीर्षक से सर्कुलर जारी किया था. जिसके मुताबिक, भूकंप, बाढ़ और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदा या एक्ट ऑफ गॉड और कस्टमर की किसी गलती या लापरवाही से लॉकर में रखे सामान को नुकसान पहुंचता है तो बैंक की जिम्मेदारी नहीं होगी. हालांकि, आपदा से लॉकर सिस्टम को बचाने के लिए बैंकों को उचित कदम उठाने होंगे.
नुकसान के लिए बैंक कब होंगे जिम्मेदार?
बैंकों की ये जिम्मेदारी है कि वे उस परिसर की सेफ्टी के लिए सभी कदम उठाएं, जिसमें सेफ डिपॉजिट वॉल्ट रखे गए हैं. RBI के मुताबिक, यह सुनिश्चित करना बैंकों की जिम्मेदारी है कि बैंक परिसर में उसकी कमियों, लापरवाही या चूक की वजह से आग, चोरी, सेंधमारी, डकैती, इमारत ढहने जैसी घटनाएं न हों. अगर लॉकर में रखे सामान को ऊपर बताई वजह या बैंककर्मी की धोखाधड़ी के कारण नुकसान पहुंचता है तो बैंक की देनदारी बनती है.
बैंक करेगा कितनी भरपाई?
बैंक की किसी लापरवाही, कमी और चूक या बैंक कर्मचारी की धोखाधड़ी की वजह से लॉकर में रखे सामान को नुकसान पहुंचता है तो बैंक को लॉकर के सालाना किराए का 100 गुना हर्जाना भरना पड़ेगा. उदाहरण के लिए, लॉकर का सालाना किराया अगर 2000 रुपए है तो बैंक आपको इसका 100 गुना तक यानी 2 लाख रुपए तक का ही भुगतान करेगा. लेकिन उसमें रखी ज्वैलरी की कीमत 10 लाख रुपए है तो ऐसे में आपको बड़ा नुकसान हो जाएगा.
बैंक की ओर से मिलने वाला हर्जाना काफी कम हैं, ऐसे में बैंक लॉकर में रखी ज्वैलरी समेत कीमती सामान का बीमा जरूर कराएं. जनरल इंश्योरेंस कंपनियां होम इंश्योरेंस या कंटेंट इंश्योरेंस प्रोडेक्ट के तहत बैंक लॉकर इंश्योरेंस देती हैं. उदाहरण के लिए, इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस की एक बैंक लॉकर पॉलिसी है, यह पॉलिसी 3 से 40 लाख और उससे ज्यादा की बीमा कवर देती है.
इस तरह की पॉलिसियां आमतौर पर ज्वैलरी, घर के दस्तावेज, शेयर सर्टिफिकेट और पासपोर्ट जैसे कीमती चीजें कवर करती हैं, ये पॉलिसियां चोरी, सेंधमारी, आग समेत दूसरी घटनाओं से हुए नुकसान को कवर करती हैं.
MyWealth Growth के को-फाउंडर हर्षद चेतनवाला कहते हैं कि कोई भी कीमती चीज, फिर चाहे वो जान हो या माल दोनों के लिए इंश्योरेंस जरूरी है. ऐसी चीज जिसको नुकसान पहुंचने पर आपको किसी तरह का वित्तीय नुकसान हो उसे इंश्योर कराना चाहिए… बैंक लॉकर इंश्योरेंस का प्रीमियम आमतौर पर कम होता है क्योंकि इसमें चोरी या सेंधमारी की संभावना कम रहती है. लॉकर इंश्योरेंस का प्रीमियम सम इंश्योर्ड पर निर्भर करता है.
अगर आपके पास बैंक लॉकर है तो उसमें कैश रखने की भूल मत करें, ये इंश्योरेंस में भी कवर नहीं होगा. लॉकर एग्रीमेंट में शर्तों को ध्यान से पढ़ लें, कीमती चीजों का इंश्योरेंस जरूर कराएं. ये बैंक लॉकर के अंदर और बाहर दोनों को कवर करता है. मान लीजिए आपने लॉकर में रखी ज्वैलरी किसी शादी में जाने के लिए निकाल कर पहन ली. खुदा-न-खस्ता कोई अनहोनी हो गई तो आप इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम ले सकते हैं इसके लिए आपको FIR करानी होगी.
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