पेमेंट बैंकों के धंधे पर छाई सुस्ती का असर ऐसे बैंक खोलने का प्लान बना रही कंपनियों पर भी पड़ने लगा है. ताजा मिसाल जियो पेमेंट्स बैंक की है. कारोबार का कुछ आइडिया नहीं मिल रहा तो रिलायंस अपने जियो पेमेंट्स बैंक के पूरी तरह से ऑपरेशंस शुरू नहीं कर रही और रिलायंस के पैर पीछे खींचने के चक्कर में देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भी उलझ गया है. दरअसल, SBI की जियो पेमेंट्स बैंक में पार्टनरशिप है. SBI ने रिलायंस को दिया अल्टीमेटम बर्षों से जियो पेमेंट्स बैंक पूरी तरह से लॉन्च नहीं हो पा रहा तो अब SBI ने भी इस पार्टनरशिप से निकलने की योजना बना रहा है. एक खबर के मुताबिक, SBI ने अब रिलायंस को अल्टीमेटम दे दिया है कि अगर वो जल्द ही पेमेंट्स बैंक को लेकर बिजनेस प्लान नहीं देती तो वो उसे ज्वॉइंट वेंचर से बाहर निकलने को मजबूर होना पड़ सकता है. जियो पेमेंट्स बैंक का एक ठोस बिजनेस प्लान लाने को लेकर रिलायंस लंबे वक्त से उलझन में फंसी हुई है. 4 साल से टल रही है लॉन्चिंग इस बैंक का औपचारिक लॉन्च पिछले 4 साल से ज्यादा वक्त से टल रहा है. जियो पेमेंट्स बैंक की नींव अप्रैल 2018 में पड़ी थी…और ये SBI और रिलायंस इंडस्ट्रीज का एक ज्वॉइंट वेंचर है. इन दोनों का पांच साल का एग्रीमेंट अगले साल की शुरुआत में खत्म हो रहा है. सितंबर तक प्लान देने का वादा SBI के अधिकारियों का कहना है कि रिलायंस ने सिंतबर तक इसका एक कारोबारी प्लान देने का वादा किया है. अगर तब तक ऐसा नहीं होता तो उन्हें अपना फैसला लेना पड़ सकता है. दरअसल, हुआ ये है कि SBI और RIL की सोच इस पेमेंट बैंक के जरिए दूसरी पेमेंट कंपनियों के धंधे में सेंधमारी की थी.
सोच ये थी जियो का पूरे देश में टेलीकॉम नेटवर्क है और साथ ही रिलायंस रिटेल का धंधा भी लंबा-चौड़ा है. बस इसी का फायदा जियो पेमेंट्स बैंक को मिलेगा. SBI का काम प्रोडक्ट्स की स्ट्रक्चरिंग और इस सेगमेंट में अपनी विशेषज्ञता के साथ अपने जबरदस्त नेटवर्क का फायदा जियो पेमेंट्स बैंक को देने का था लेकिन, ये सब हुआ नहीं.
UPI की वजह से पेमेंट बैंकों का धंधा बेजार हो चुका है. करीब 6 साल पहले RBI ने 11 पेमेंट बैंक लाइसेंस दिए थे. मौजूदा वक्त में केवल 6 पेमेंट्स बैंक रह गए हैं यानी इन पेमेंट्स बैंकों में कमाई का भरोसा कंपनियों को नहीं है. यही बात रिलायंस को भी सता रही है. खैर…सितंबर तक रिलायंस को जियो पेमेंट्स बैंक का प्लान देना है. तभी पता चलेगा कि क्या वाकई ये बैंक जमीनी हकीकत बन पाएगा या नहीं.
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