बड़े उदास गुमसुम गुप्ता जी पहुंचे रामू की दुकान पर, गुल्लू तो जमे ही थे अखबार लिए, रामू अब चाय की जगह लस्सी और शिकंजी बेच रहे हैं. महंगी बिजली और गैस से बचने का यही तोड़ निकाला था रामू ने... रामू बोलाः गुल्लू भइया लो आ गए गुप्ता ... इन्हें भी चैन न पड़ता इतनी गर्मी में रामू- कैसे मरियल से हो गए गुप्ता जी, का हुआ जेब कट गई का या पिट गए ? गुप्ता – रामू यार एक गिलास शिकंजी दे दी भाई... खूब नींबू मार दियो शरीर से पेट्रोल निकल रहा है रामूः 100 रुपये की एक गिलास है शिकंजी...बना दें... गुप्ताः क्या..घी की है क्या शिकंजी? तू तो ठग हो गया रामू रामू – नींबू के दाम पता हैं कि नहीं...? घी से भी महंगा हो गया है... जाओ घर जाकर पी लो .. नींबू बचाकर ले जाना कोई लूट न ले गुल्लू – रामू यार इनको कोई फर्क नहीं पड़ता .... ये मस्त नोट छाप रहे हैं इन्हें तो 125 की दिया गया कर और पचीस रुपये मेरे कम कर दे... गुप्ताः यार गुल्लू .. तुम जीते हम हारे ... हम पूरी तरह तुम्हारे साथ आज तो .. गुल्लू भइया जिंदाबाद रामू ... अरे रे रे रे .. गुप्ता को क्या हुआ गुल्लू .. अभी गर्मी दिमाग पर चढ़ गई और गर्मी की पिक्चर शुरु हुई है गूल्लू ...रामू यार कुछ तो गड़बड़ है. गुप्ता आज सरेंडर कैसे हो गए? रामू – गुल्लू भइया ये बड़े ड्रामेबाज हैं.. कुछ करने आए होंगे गुल्लूः अरे रामू, बोलने दे गुप्ता जी को.. गुप्ता – गुल्लू यार तू बिल्कुल ठीक कहता है.. महंगाई ने पीट-पीटकर धो डाला है गुल्लू – क्या हुआ गुप्ता तुम तो कहते थे कहां है महंगाई .. सब तो मस्त कार खरीद रहे हैं गुप्ता – यार गुल्लू जले पर बरफ रख .. गरम चाय क्यों डाल रहा है एक तो वैसे ही कमाई-धंधा निपट गया है...ऊपर से इत्ती महंगाई.. रामू – गुप्ता जी हमें भरोसा नहीं हो रहा .. इतना कैसे बदल गया इंसान? गुप्ता – यार रामू . दुकान से कितना कमा लेते हैं हम.. पेट्रोल तो हमारे लिए भी महंगा है, बच्चे की फीस इतनी बढ़ी कि टीचर से चिकचिक हो गई. किताब बस्ता हम तो बनाते नहीं अपने घर.. दवा की कीमत देख लो.... बीमारी दोगुनी हो गई है. रामू – अरे अरे गुप्ता आंसू निकाल दिये तुम तो ... रुमाल नहीं है.. ये लोटा लो और मुंह धो लो गुप्ता – यार महंगाई हमें भी मारती है .. अब नहीं सहा जाता रामू – कोई ना तुम इतना ड्रामा मत करो.. शिकंजी 75 में दे देंगे .. तुम तो अपने पुराने यार हो और चीनी बेचने में खूब चूना लगाते हो गुल्लू – गुप्ता तुम्हारी मुसीबत महंगाई नहीं लगती.. मामला कुछ और ही है गुप्ता – यार .. कल बैंक गए एफडी पलटवाने, ब्याज का हिसाब लगाया, यार महंगाई 10 फीसदी, एफडी पर ब्याज 4 फीसदी .... यार गुल्लू जिंदगी जीने की लागत से आधी हो गई बचत पर कमाई लुट गया मैं तो गुल्लू बर्बाद हो गया यार गुल्लूः तुम तो वैसे ही करोड़पति हो...क्या करोगे इत्ते पैसे का... गुप्ता जीः ऐसा है हर वक्त मजाक ठीक नहीं...कभी तो दर्द समझा कर भाई रामूः गुप्ता एक काम करो एक एफडी तुड़ा के नीबू का धंधा कर लो गुप्ता – यार यकीन कर बहुत नुकसान हो रहा है अब हर तरफ से धंधे से भी बचत से भी गुल्लूः ये बात तो सही है गुरु!! तुम्हें तो लगता था सब ठीक चल रहा है, कल तक तो मार को तैयार थे अब .. ... रामूः गुल्लू भाई..गुप्ता जी की बात का भरोसा मत करियो...ये कोई सुराग लगाने आए होंगे...बड़े खुराफाती हैं... गुप्ताः रामू...तू पिट जाएगा अब गुल्लूः अरे लड़ो मत...गुप्ता जी... समस्या क्या है तुम्हारी गुप्ता – यार चलो महंगाई में किसी दिन काट लेंगे जो बचा रहे हैं उस पर तो कम से सही ब्याज मिले ... कुछ दिखता ही नहीं कहां नुकसान से बचें गुल्लू – समस्या गंभीर है तुम्हारी गुप्ता .. बचत के जरिये महंगाई को कैसे हराया जाए गुप्ता – वही तो .. जब से हिसाब लगाया दिमाग में युद्ध के बम गोले छूट रहे हैं, पत्नी को बताया तो बहुत गरियाये गए गुल्लू भइया गुल्लू – अरे ऐसा हुआ? गुप्ता – बीबी बोली बड़े ज्ञानी हो न तुम. रामू की दुकान पर लंबी छोड़ते हो ये नुकसान कर रहे हो, बुढ़ापा कैसे कटेगा... बबलू की पढ़ाई कित्ती महंगी हो जाएगी तीन साल में गुल्लू – पर यार तुम तो शेयरों में भी पैसा लगा रहे थे...सुना से बड़ा माल कूटा है तुमने उधर... गुप्ताः अरे हओ...मुझे तो ये भी नहीं पता कि ये शेयर बाजार लगता कहां है... वो तो ऐसे ही तुम्हें जलवा बता रहे थे .. अपने को समझ नहीं आता क्या गणित है .. बस वॉट्सअप पढ़कर फेंक देते हैं गुल्लू – गुप्ता बात मान... मेरी सरकार ने कुछ बचाने को छोड़ा नहीं है . ऐसा तो हरगिज नहीं जिसमें महंगाई से ज्यादा रिटर्न मिल पाए गुप्ता – यही तो भइया .. ऊपर से साले साहब आए .. तीन LIC चिपका गए .. कहते हैं अच्छा पैसा वापस आएगा .. गुल्लू - महंगाई बचत की सबसे बड़ी दुश्मन है सरकार यह समझती नहीं .. न बचत को कोई प्रोत्साहन न अच्छे रिटर्न के विकल्प .. सरकारी बॉन्ड जैसे रास्ते हैं लेकिन वहां से वक्त बेवक्त निकालने की सुविधा नहीं रामू – यार गुप्ता वो माल जो जमीन और सोने में लगा रखा है.. उसका भी तो बता दो ? गुप्ता – गुल्लू तू रोक ले इसे आज.. मार हो जाएगी अब कहे देते हैं गुल्लूः भइया...शेयर बाजार है या म्युचुअल फंड ...वहीं से कुछ उम्मीद है गुप्ताः लेकिन वहां पैसा डूब भी जाता है.. गुल्लू – जोखिम तो है भाई सरकार चाहती है नहीं हम बचत को सुरक्षित निवेश में लगाएं अब.. गुप्ता – क्या मतलब? गुल्लू - देख कब से सरकार ने बचत के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं दिया. टैक्स में छूटी नहीं दी. बचत से रिटर्न पर भरपूर टैक्स है हर जगह... अब महंगाई तप रही तो गुप्ता जी तुम्हारी भी पूंछ जल रही है गुप्ता - तो मतलब ये कि सरकार चाहती है कि महंगाई को देनी है मात तो शेयर बाजार में जोखिम उठाओ गुल्लू – गुप्ता जी बस यही एक रास्ता अब रामू – गुप्ता जी अपना पैसा हमें उधार दे दो ...यार ठेला रंगवाना है पहिये बदलवा लेंगे .. अब तो महंगाई आ ही गई .. कल से लस्सी और महंगी कर देंगे हम ... गुप्ता बैंक एफडी से ज्यादा ब्याज देंगे और हफ्ते में एक शिकंजी बोनस में गुप्ता ... रामू ... तू नहीं मानेगा गुल्लू .. रामू यार गुप्ता को अब दिन में तारे दिख रहे हैं .. इन्हें बख्श दो भाई!!