बैंकों में की शाखाओं में मंगलवार को 2000 के नोट बदलने की प्रक्रिया शुरू हो गई. एक बार में अधिकतर 10 नोट बदले जा रहे है. इस तरह एक बार में 20 हजार रुपए तक के नोट बदले जा सकते हैं. इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि बैंकों में जमा के रूप में दो लाख करोड़ रुपए की नकदी आ सकती है. इससे माना जा रहा है कि अब फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की ब्याज दरें नहीं बढ़ेंगी.
दरअसल, देश तमाम बैंक नकदी की तंगी के दौर से गुजर रहे हैं. आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में बैंकों में कर्ज की मांग में 15 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई. इस दौरान बैंकों का बकाया 136.75 लाख करोड़ रुपए हो गया. इस दौरान बैंक की जमा में महज 9.6 फीसद वृद्धि हुई. इस वजह से बैंकों को बाजार महंगा कर्ज उठाना पड़ रहा है.
आरबीआई के अनुसार वह 2000 रुपए के नोटों की छपाई 2018-19 में ही बंद कर चुका है. केंद्रीय बैंक ने बताया कि मार्च 2018 के अंत तक देश में करेंसी नोटों का जितना सर्कुलेशन था, उसमें 2000 रुपए के नोटों की हिस्सेदारी 37.3 फीसद थी और इस साल मार्च अंत तक करेंसी के कुल सर्कुलेशन में 2000 रुपए के नोटों की हिस्सेदारी घटकर 10.8 फीसद बची है. इस आधार पर बाजार में 2000 रुपए के करीब 3.7 लाख करोड़ रुपए के नोट है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि 30 सितम्बर तक बैंकों की जमा में दो लाख करोड़ रुपए तक की वृद्धि हो सकती है.
कैसे होगा फायदा?
अभी बैंक बाजार से एफडी और बॉन्ड के एवज में जो कर्ज उठा रहे उस पर सालाना सात से आठ फीसद तक का ब्याज चुकाना पड़ रहा है. कर्ज मांग को पूरा करने के लिए अभी उन्हें जमा दरों में और वृद्धि करनी पड़ सकती है. बैंकों के पास 2000 रुपए के रूप में जो जमा आएगी उसका अधिकांश हिस्सा बचत खातों में ही आएगा जिस पर बैकों को 2.7 से 3.5 फीसद तक ही ब्याज देना होगा. बैंकों को सस्ती नकदी मिलने के बाद कर्ज की दरों में नरमी देखने को मिल सकती है. विशेषज्ञो का अनुमान है कि जमा की दरे अब पीक पर पहुंच चुकी हैं. इससे आने वाले दिनों में अब एफडी की ब्याज दरें बढ़ने की गुंजाइश कम ही है.