अगर आप रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम या नौकरी के साथ एक्स्ट्रा कमाई करना चाहते हैं तो पोस्ट ऑफिस की मंथली इनकम स्कीम (MIS) आपके काम आ सकती है… सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में आम आदमी को बड़ी राहत देते हुए पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम (MIS) की डिपॉजिट लिमिट बढ़ाई है. 1 अप्रैल 2023 से मंथली इनकम स्कीम (Post Office- Monthly Income Scheme) में कोई व्यक्ति 4.5 लाख रुपए की जगह 9 लाख रुपए जमा कर सकता है. इसी तरह, ज्वाइंट अकाउंट के मामले में यह लिमिट 9 लाख रुपए से बढ़ाकर 15 लाख रुपए की गई है. लिमिट बढ़ने के बाद मंथली इनकम स्कीम (MIS) में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है.
क्या है मंथली इनकम स्कीम (MIS)? मंथली इनकम स्कीम के तहत खाता खोलने वाले व्यक्ति को हर महीने ब्याज का भुगतान किया जाता है. कम से कम एक हजार रुपए से खाता खोला जा सकता है. इसका टेन्योर 5 साल का होता है. केवाईसी डॉक्यूमेंट और पैन के साथ फॉर्म भरकर किसी भी पोस्ट ऑफिस यानी डाक घर में यह खाता खोला जा सकता है.
मंथली इनकम स्कीम पर कितना रिटर्न? मौजूदा समय में मंथली इनकम स्कीम (MIS) में सालाना 7.4 फीसदी का ब्याज (Interest) है, जिसका भुगतान हर महीने किया जाता है. सरकार हर तिमाही MIS समेत स्माल सेविंग स्कीम (Small Savings Schemes) की ब्याज दरों की समीक्षा करती है. फिक्स रिटर्न और सरकारी बैकिंग होने की वजह से इस स्कीम में निवेश पर जोखिम कम है.
निवेश पर रिटर्न का गणित? पर्सनल फाइनेंस प्लेटफॉर्म Fintra के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति 9 लाख रुपए 7.4 फीसदी के ब्याज पर 5 साल के लिए जमा करता है तो उसे हर महीने 5,550 रुपए की कमाई होगी… इसी तरह, ज्वाइंट अकाउंट की कंडीशन में 15 लाख जमा करने पर हर महीने 9,250 रुपए का ब्याज मिलेगा…
MIS के ब्याज से हुई कमाई पर टैक्स का गणित? चार्टर्ड अकाउंटेंट विनोद रावल बताते हैं कि MIS के ब्याज से कमाई पर व्यक्ति को टैक्स देना होता है. ब्याज से हुई आय आपकी इनकम में जुड़ जाती है और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होता है. हालांकि, अगर एक वित्त वर्ष में ब्याज से आय 40 हजार रुपए से कम है तो TDS नहीं कटेगा. सीनियर सिटीजन के मामले में यह लिमिट 50 हजार रुपए है. ज्वाइंट अकाउंट के मामले में प्राइमरी और सेकेंडरी यानी दोनों अकाउंट होल्डर को टैक्स देना होता है. आयकर कानून के सेक्शन 80TTA के तहत, बैंक, को-ऑपरेटिव सोसायटी या पोस्ट ऑफिस के सेविंग्स अकाउंट के मामले में ब्याज से सालाना 10 हजार रुपए तक की आय पर टैक्स नहीं है. सीनियर सिटीजन के केस में यह लिमिट 50 हजार रुपए है. इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते वक्त इस डिडक्शन का लाभ लिया जा सकता है.
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