खाद्य तेल की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार ने आयात शुल्क में कटौती कर दी है. अब रिफ़ाइंड सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क 12.5 फ़ीसद कर दिया गया है जो पहले 17.5 फ़ीसद थी. घटा हुआ आयात शुल्क गुरुवार से प्रभावी हो गया है.
अब सभी कच्चे तेल यानी कच्चे पाम तेल, सूरजमुखी तेल और सोया तेल पर 5 फ़ीसदी आयात शुल्क लगेगा यानी उपकर को लगाकर कुल 5.5 फ़ीसदी कर लगेगा. रिफाइंड खाद्य तेल के मामले में प्रभावी आयात शुल्क 13.75 फ़ीसदी है, जबकि रिफाइंड तेल पर 12.5 फ़ीसदी आयात शुल्क और आयात शुल्क पर 10 फ़ीसदी उपकर लगेगा.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में कच्चे और रिफाइंड सोया और सूरजमुखी तेल के बीच कम शुल्क अंतर के बाद भी रिफाइंड सोया तेल या सूरजमुखी तेल के शिपमेंट की संभावना व्यावसायिक रूप से अच्छी नहीं है. हालांकि अब आयात शुल्क कम होने से बाजार पर इसका कुछ अस्थायी असर पड़ सकता है.
सस्ता होगा खाने का तेल
इस फैसले से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों को कम करने में मदद मिलेगी. मूल आयात शुल्क एक महत्वपूर्ण कारक है जो खाद्य तेलों की उतराई लागत को प्रभावित करता है जो बदले में घरेलू कीमतों को प्रभावित करता है. रिफ़ाइंड सूरजमुखी तेल और रिफ़ाइंड सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क में कमी से उपभोक्ताओं को लाभ होगा. मदर डेयरी अपने धारा ब्रांड के तेल पर प्रति लीटर 10 रुपए घटा भी चुका है.
बता दें भारत दुनिया में सबसे बड़ा खाने के तेल का खरीदार है. भारत अपनी मांग का 60 फ़ीसदी खाद्य तेल आयात करता है. भारत इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल आयात करता है, सोयाबीन तेल अर्जेंटीना, ब्राजील और अमेरिका से सोया तेल से आता है जबकि रूस और यूक्रेन से सूरजमुखी के तेल का आयात करता है.
आंकड़ों पर नज़र डालें तो नवंबर से अप्रैल के दौरान रिकॉर्ड स्तर पर देश में खाद्य तेल का आयात हुआ. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के मुताबिक, पाम तेल का आयात 49 लाख टन हुआ, जो पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि के दौरान 32 लाख टन था. पाम आयल की हिस्सेदारी 49 फीसदी से बढ़कर 61 फीसदी हो गई, जबकि सॉफ्ट ऑयल का आयात कम हो गया. हालांकि सूरजमुखी और सोया तेल का शिपमेंट वर्तमान ऑयल ईयर की पहली तिमाही में 3.1 मिलियन टन रहा जो पिछले सत्र में 33 लाख टन रहा था.