सैलरी रिस्ट्रक्चर करवा कर कैसे बचाएं इनकम टैक्स?
जय और वीरू दोनों एक ही कंपनी में मैनेजर हैं. दोनों की सैलरी पैकेज भी एक सा है. लेकिन इनहैंड सैलरी में अंतर है. टैक्स भी वीरू जय से ज्यादा देते हैं…. इसकी वजह है जय का जागरुक होना… दरअसल ज्यादातर कंपनियां अपने कर्मचारियों को सैलरी रिस्ट्रक्चर करने का विकल्प देती हैं. इसके नाम विभिन्न कंपनियों में अलग अलग हो सकते हैं. जैसे पार्ट बी या फ्लैक्सी…. लेकिन मकसद एक ही होता है.. कि सैलरी को मोटे तौर पर दो हिस्सों में तोड़कर टैक्स बचा लिया जाए…
अब समझिए जय ने क्या किया.
1 लाख की सैलरी में जय ने फ्लेक्सी पे के जरिए कई टैक्स फ्री अलाउंस लिए. वो इन अलाउंसेस के लिए बिल जमा करते हैं. मसलन, अपने पैट्रोल, मोबाइल, इंटरनेट, एंटरटेनमेंट आदि के खर्च पर टैक्स बचा रहें हैं और कम टैक्स देकर इनहैंड सैलरी ले रहे हैं….
CA अंकित गुप्ता कहते हैं कर्मचारी जानकारी के अभाव में कई बार मिलने वाले इन फायदों को नहीं ले पाते और मौका होते हुए भी टैक्स नहीं बचा पाते. जरूरी है कि आप नौकरी की ज्वाइनिंग के समय एचआर से पूछकर अगर विकल्प है तो सैलरी को दो जगह बांटकर टैक्स जरूर बचाएं.
मनी9 की सलाह
अपने एचआर डिपार्टमेंट से विभिन्न प्रकार के एलाउंसेस के बारे में पूछिए. इसकी अधिकतम सीमा और इसको लेने के तरीके को समझिए. अक्सर इस तरह के एलाउंसेस वित्त वर्ष की शुरुआत में चुनने का विकल्प मिलता है.