हाल के वर्षों में निवेश के विकल्प के तौर पर बेहतर रिटर्न के चलते म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुए हैं. अगर आप यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि निवेश की शुरुआत कहां से करें, इस बारे में अच्छी तरह से समझ लें. म्यूचुअल फंड दो तरह के होते हैं. पहला एक्टिव म्यूचुअल फंड (Active Mutual Fund) और दूसरा पैसिव म्यूचुअल फंड (Passive Mutual Fund). पिछले चार वर्षों में पैसिव निवेश में बड़ा उछाल देखा है. इस श्रेणी में इंडेक्स फंड और ईटीएफ के प्रबंधन के तहत संपत्ति (AUM) में क्रमशः 36% और 132% की बढ़ोतरी दर्ज की है. मार्च 2023 में उद्योग में एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) और इंडेक्स फंड की हिस्सेदारी जून 2019 में 6% से बढ़कर लगभग 16.5% हो गई. एक्सपर्ट्स पैसिव फंडों से शुरुआत करने की सलाह देते हैं.
एक्टिव और पैसिव फंड क्या है? दरअसल, पैसिव फंड ऐसे निवेशकों के लिए है, जिनमें जोखिम लेने की क्षमता कम है. यानी ऐसे निवेशक जो बेहतर रिटर्न से ज्यादा महत्व सुरक्षा को देते हैं. यह फंड बाजार को ट्रैक करता है, जिससे इसमें उतार-चढ़ाव कम होता है. इंडेक्स फंड और ETF आदि पैसिव फंड हैं, जो बेंचमार्क को ट्रैक करते हैं. ये दोनों फंड उन्हीं कंपनियों में निवेश करते हैं, जो बेंचमार्क इंडेक्स में शामिल होती हैं. कोरोना महामारी के दौरान पैसिव फंड तेजी से पसंदीदा एसेट क्लास के रूप में उभरकर सामने आया. विशेषज्ञ भी निवेश के लिए इसी की सलाह देते हैं. एक्टिव म्यूचुअल फंड में मैनेजर की बहुत भूमिका होती है. एक्टिव फंड के मैनेजर फंड की पूरी स्ट्रैटजी तैयार करते हैं. ये प्रबंधक नियमित तौर पर खरीद-बिक्री के फैसले भी करते हैं. इसके अलावा, निवेशकों को बहुत ज्यादा रिसर्च या एनालिसिस करने की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि ये काम फंड मैनेजर के जिम्मे होता है. वह खुद ये तय करते हैं फंड को कहां और कैसे निवेश किया जाए.
ऐसे दर्ज की गई वृद्धि म्यूचुअल फंडों की लोकप्रियता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि एक साल में इसने 56 फीसदी की तेज वृद्धि दर्ज की गई है. 31 जनवरी 2022 को ETF और इंडेक्स फंड की संख्या 196 थी, जबकि 31 जनवरी 2023 तक इसकी संख्या बढ़ कर 305 हो गई. खातों की संख्या के आधार, पर दिसंबर 2022 में ETF व फंड ऑफ फंड (FoF), हाइब्रिड एवं डेट आधारित फंड को पीछे छोड़कर दूसरी सबसे बड़ी कटैगरी बन गया है. म्यूचुअल फंड उद्योग के संगठन एंफी ( के अनुसार, ETF मार्केट में जनवरी 2023 में अच्छी तेजी देखी गई. ETF की बाजार हिस्सेदारी जनवरी 2022 में 11.2 फीसदी थी, जो बढ़कर जनवरी 2023 में 13.1 फीसदी हो गई. जनवरी-मार्च 2023 के बीच इंडेक्स फंड्स में 39.285.76 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है. पिछले महीने इंडेक्स फंड्स में 147.37 करोड़ रुपए का निवेश दिखा जबकि इस साल आईसीआरए (ICRA) के शोध के अनुसार, 2017-2022 के बीच, केवल 8% एक्टिव लार्ज कैप फंड इंडेक्स के बेंचमार्क से आगे निकले.
उदाहरण से समझें उदाहरण के लिए, आप मार्केट कैपिटल के हिसाब से भारत की 50 सबसे बड़ी कंपनियों के बारे में जानना चाहते हैं तो एनएसई निफ्टी इंडेक्स को देख सकते हैं. अमेरिका की सबसे बड़ी 500 कंपनियों के बारे में जानना चाहते हैं तो S&P 500 देख सकते हैं. ETF और इंडेक्स फंड के लिए गोल्ड, कमोडिटीज, बैंक, हेल्थकेयर समेत कई कैटेगरी हैं. वहीं, एक्टिव मैनेज्ड फंड के तहत इक्विटी म्यूचुअल फंड, डेट म्यूचुअल फंड, हाइब्रिड फंड या फंड ऑफ फंड्स आदि आते हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट? वित्तीय प्लानर नेमा छाया बुच के अनुसार, ‘जब बाजार अनुकूल होता है, तो एक्टिव फंड बेहतर साबित होते हैं लेकिन अगर बाजार में गिरावट का माहौल है तब यह निवेशकों को बड़ा झटका दे सकता है. जबकि पैसिव इन्वेस्टमेंट में इस तरह के उतार-चढ़ाव से बचा जा सकता है. लंबी अवधि के निवेश के लिए पैसिव फंड बेहतर विकल्प है. उन्होंने कहा, ‘पिछले 10 वर्षों में, बीएसई सेंसेक्स ने औसतन 13% रिटर्न दिया है. ऐसे में, अंडरलायिंग सेंसेक्स वाले पैसिव फंड इसी आधार मूल्य पर रिटर्न देंगे. लेकिन एक्टिव फंडों के लिए ऐसा नहीं है क्योंकि यह काफी हद तक फंड मैनेजर की रणनीतियों और स्किल पर निर्भर करता है. इसलिए अगर आप लम्बी अवधि के लिए कम शुल्क, और कम जोखिम वाले इक्विटी बाजारों में निवेश करना चाहते हैं तो आपके लिए पैसिव फंड बेहतर है.
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