कोरोना की वजह से भारतीय परिवारों की बचत करीब 50 साल के निचले स्तर पर चली गई है. सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI की तरफ से जारी किए गए मासिक बुलेटिन में बताया गया है कि वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान भारतीय परिवारों की बचत घटकर जीडीपी के 5.1 फीसद हिस्से के बराबर रह गई है जो करीब 50 वर्षों में सबसे निचला स्तर है. इससे पहले वित्तवर्ष 2021-22 के दौरान परिवारों की बचत GDP के 7.2 फीसद और 2020-21 के दौरान GDP के 11.5 फीसद हिस्से के बराबर थी.
रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान परिवारों की कुल बचत का आंकड़ा 22.8 लाख करोड़ रुपए हुआ करता था, लेकिन उस साल कोरोना की वजह से भारतीय परिवारों को अपनी बचत तोड़नी पड़ी थी और वित्तवर्ष 2021-22 के दौरान यह आंकड़ा घटकर 16.96 लाख करोड़ रुपए रह गया था, इससे अगले साल यानी वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान भारतीय परिवारों की कुल बचत का आंकड़ा घटकर सिर्फ 13.76 लाख करोड़ रुपए दर्ज किया गया.
रिजर्व बैंक के आंकड़े यह भी बताते हैं कि परिवारों की सिर्फ बचत ही नहीं टूटी बल्कि उनकी देनदारियां भी बढ़ गई हैं. वित्तवर्ष 2021-22 के दौरान भारतीय परिवारों की कुल देनदारियां GDP के सिर्फ 3.8 फीसद हिस्से के बराबर हुआ करती थी, लेकिन वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान यह आंकड़ा बढ़कर जीडीपी के 5.8 फीसद हिस्से के बराबर हो गया है. देनदारियां बढ़ने के साथ भारतीय परिवारों पर कुल कर्ज में भी बढ़ोतरी हुई है, वित्तवर्ष 2021-22 के दौरान कुल कर्ज जीडीपी के 36.9 फीसद हिस्से के बराबर था जो वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान बढ़कर 37.6 फीसद हिस्से के बराबर हो गया है.
रिजर्व बैंक के ये ताजा आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने बड़ी चुनौती की तरफ इशारा कर रहे हैं, रिजर्व बैंक से पहले पिछले साल मनी9 के सर्वे में भी यह बात सामने आई थी कि कोरोना काल में 53 फीसद भारतीय परिवारों को जरूरत के लिए अपनी बचत तोड़नी पड़ी थी. मनी9 के सर्वे ने बताया था कि 18 फीसद परिवारों ने इलाज के खर्च के लिए अपनी बचत तोड़ी थी और 19 फीसद परिवारों को नौकरी जाने की वजह से बचत तोड़नी पड़ी थी. सर्वे से यह भी पता चला था कि 7 फीसद परिवारों ने बच्चों की पढ़ाई के लिए अपनी बचत तोड़ी है और 4 फीसद परिवारों को शादी के लिए अपनी बचत का इस्तेमाल करना पड़ा है.
Published September 19, 2023, 12:38 IST
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