नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस के तहत एक बड़ा अपडेट है. केंद्र सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम के तहत मिलने वाले लाभों का दायरा बढ़ाने के तरीके सुझाने के लिए एक समिति गठित की है. यह समिति कई मायने में महत्वपूर्ण है. यह समिति वित्त सचिव की अध्यक्षता में काम करेगी. यह सरकारी कर्मचारियों के लिए एनपीएस के तहत सरकारी खजाने पर बिना बोझ डाले गारंटी पेंशन की मांग को पूरा करने के तरीकों पर विचार करेगी. समिति के साथ हुई हाल की बातचीत में सरकारी कर्मचारी संघों ने कहा था कि एनपीएस में पेंशन का कोई गारंटी लेवल नहीं है, क्योंकि यह मार्केट रिटर्न पर आधारित है.
कर्मचारियों द्वारा एनपीएस के तहत कुछ रिटायर लोगों को मामूली पेंशन देने की बात भी कही गई थी. हालांकि अधिकारियों ने यूनियन के कम पेंशन के दावे का खंडन किया है. उनका कहना है कि इन लोगों ने कम निवेश किया था, और कुछ सालों की सेवा के बाद रिटायर हो गए थे. इसलिए इनकी तुलना 33 साल या उससे अधिक के सामान्य करियर अवधि के लिए सेवा करने वाले लोगों से नहीं की जा सकती. ऐसी स्थिति में गारंटी पेंशन योजना का विकल्प है लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि सरकार जब तक गारंटी की कीमत तय करने और इसके लिए शुल्क लगाने का कोई तरीका नहीं खोज लेती, तब तक इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए.
फिलहाल, किसी व्यक्ति के पूरे कार्यकाल के दौरान योगदान से जमा एनपीएस फंड का कम से कम 40 फीसद मासिक पेंशन देने के लिए वार्षिकी (एन्युटी प्लान) में निवेश किया जाना चाहिए, जो वार्षिकी रिटर्न से जुड़ा हुआ है और इसकी गारंटी नहीं है. मौजूदा नियम में बाकी 60 फीसद राशि निकाली जा सकती है, जो टैक्स फ्री है. सरकार वेतन का 14 फीसद योगदान करती है और कर्मचारी एनपीएस फंड में 10 फीसद का योगदान देता है. अगर सरकार के योगदान 14 फीसद से बने फंड का करीब 60 फीसदी एनपीएस के तहत एक विशेष फंड में जमा किया जाए, जो एन्युटी से 5-7 फीसदी की तुलना में 9-10 फीसद का रिटर्न मिल सकता है. लेकिन ऐसा तब मुमकिन है जब अंतिम ड्रॉ 35-40 फीसद तक किया जाए.
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