रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए एऩपीएस अच्छा विकल्प है. तमाम एक्सपर्ट इस योजना में निवेश की सलाह देते हैं. उनका तर्क है कि यह सरकारी योजना है. निवेश पर कोई जोखिम नहीं. निवेश की लागत भी बहुत कम है. रिटर्न भी अच्छा मिल रहा है. सबसे बड़ा फायदा ये है कि एनपीएस में निवेश पर हर साल टैक्स बचा सकते हैं. उनके तर्कों की लिस्ट और लंबी हो गई है. पेंशन फंड नियामक पीएफआरडीए ने एनपीएस को और बेहतर बनाने के लिए इससे जुड़े नियमों में कुछ बदलाव किए हैं. क्या हैं ये बदलाव, इनसे निवेशकों को कैसे होगा फायदा आइए समझते हैं–
अपनी पसंद से चुन सकेंगे एन्युटी
पीएएफआरडीए की रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2023 तक एनपीएस के सब्सक्राइबर बढ़कर 6.3 करोड़ हो गए जबकि एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 8.99 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई. एनपीएस में रिटायरमेंट के बाद खाते में जमा कुल फंड की 40 फीसद रकम से किसी जीवन बीमा कंपनी से एन्युटी खरीदनी होती है. इस एन्युटी के जरिए आपको नियमित रूप से पेंशन मिलेगी. पीएफआरडीए ने अब पेंशन चुनने की राह आसान बना दी है. रेगुलेटर ने कहा है कि पेंशन कोष से बाहर निकलने के बाद एनपीएस खाताधारक अब अपनी पसंद की बीमा कंपनी की एन्युटी और पेंशन स्कीम चुन सकते हैं. पेंशन की अवधि मासिक या अन्य अवधि की हो सकती है. अभी तक सब्सक्राइबर के पास एन्युटी चुनने के बहुत ही सीमित विकल्प थे. एनपीएस नियमों में बदलाव से निवेशक बेहतर रिटर्न वाली बीमा कंपनी की एन्युटी चुन सकेंगे. अभी पीएफआरडी ने 15 जीवन बीमा कंपनियों को एन्युटी की सुविधा मुहैया कराने के लिए अधिकृत कर रखा है.
बाहर निकलने का नियम आसान
पीएफआरडीए ने एनपीएस सब्स्क्राइबर को स्कीम से बाहर निकलने की राह को भी आसान कर दिया है. अगर कोई सब्सक्राइबर रिटायरमेंट के बाद या पहले इस स्कीम से बाहर निकलना चाहता है तो वह आसानी से बाहर हो सकता है. इस बारे में खाताधारकों को नफा–नुकसान की जानकारी मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकारी क्षेत्र के नोडल अधिकारियों, पाइंट ऑफ प्रेजेंस (POPs) और एनपीएस ट्रस्ट को दी गई है. पीएफआरडीए ने कहा है कि इनसे जुड़े लोग एनपीएस निवेशकों को उनकी जरूरतों के हिसाब से स्कीम का चुनाव करने में मदद करें जिससे उन्हें भविष्य में किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े.
नहीं देना होगा अतिरिक्त शुल्क
पीएफआरडीए ने स्पष्ट किया है कि किसी भी तरह की एन्युटी सर्विस को चुनने के लिए सब्सक्राइबर्स को किसी तरह का टैक्स या अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा. बीमा कंपनी एनपीएस सब्सक्राइबर्स से बीमा नियामक इरडा द्वारा निर्धारित केवल प्रीमियम शुल्क ले सकती है. रेगुलोटर ने स्पष्ट किया है कि एनपीएस को सरकार को देय टैक्स व अन्य कई शुल्कों से बाहर रखा गया है. ऐसे में अन्य सर्विस के लिए उन पर किसी तरह के शुल्क का दबाव नहीं होना चाहिए. साथ ही एनपीएस सब्सक्राइबर को बीमा कंपनी सीधे चैनल से एन्युटी मुहैया कराएंगी. इसके लिए किसी एग्रीगेटर या एजेंसी की सेवाएं नहीं ली जाएंगी.
एनपीएस से बाहर निकलने का क्या है नियम?
पीएफआरडीए के नियमों के तहत एनपीएस सब्सक्राइबर्स मैच्योरिटी के समय खाते में जमा कुल रकम में से 60 फीसद रकम निकाल सकता है जो टैक्स फ्री होगी. बाकी 40 फीसद रकम से पेंशन के लिए एन्युटी खरीदनी होगी. अगर आप 60 साल से पहले इस पेंशन योजना से बाहर निकलते हैं तो 20 फीसद रकम ही निकाल पाएंगे. बाकी 80 फीसद राशि से एन्युटी खरीदनी होगी. अगर सब्सक्राइबर के पेंशन फंड में जमा कुल रकम 5 लाख रुपए से कम है तो वह पूरे पैसे निकाल सकता है. इस स्थिति में एन्युटी खरीदना जरूरी नहीं है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं कि एनपीएस लंबी अवधि का निवेश है. जिन लोगों को शेयर बाजार के उतार चढ़ाव, एसेट अलोकेशन यानी अपने पैसे कहां और कैसे निवेश करें के बारे में जानकारी नहीं है उनके लिए एनपीएस निवेश का अच्छा विकल्प है. एनपीएस में ऑटो च्वाइस का विकल्प चुनकर अच्छा कॉर्पस जोड़ सकते हैं. जो लोग 25 से 30 साल के युवा हैं, उऩके के लिए एऩपीएस अच्छा निवेश साबित हो सकता है.
मौजूदा समय में एनपीएस निवेश के लिए सबसे सस्ता विकल्प है. इस निवेश की लागत न बढ़े इसलिए पीएफआरडीए ने नियमों में बदलाव किया है.
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