अबकी दफा जब आप 10 रुपए का लिटिल हार्ट्स बिस्कुट खरीदें तो हो सकता है कि आपको इसमें दो-तीन बिस्कुट कम मिलें. 2 रुपए से 10 रुपए तक के दाम वाले पैक में अब आपको कम सामान मिलेगा. कंपनियों ने इन पैक्स का वजन घटा दिया है. कम कीमत वाले स्नैक्स और बिस्कुट्स के साथ ये कहानी अब आम हो गई है.
वजह है महंगाई. महंगाई जिसकी मार पेट्रोल–डीजल से होते हुए आपकी रसोई तक तो बहुत पहले ही पहुंच गई थी. अब स्नैक्स, बिस्कुट जैसी आम इस्तेमाल की चीजों पर भी इसकी मार पड़ गई है. गेहूं महंगा हुआ तो आटे के दाम भी चढ़ गए हैं. खाने का तेल और शक्कर जैसे आइटमों में पहले से आग लगी पड़ी है. बस, स्नैक्स, बिस्कुट इन्हीं रॉ मैटेरियल्स से तो बनते हैं साब…सो कंपनियों ने महंगाई की इस मार को कंज्यूमर्स यानी आप पर ट्रांसफर कर दिया है.
अब कंपनियों ने इन पैक्स में आने वाले सामान की मात्रा यानी क्वांटिटी कम कर दी है. खासतौर पर ऐसा 2 से 10 रुपए के पैक्स में किया गया है. अब इन पैक्स का वेट यानी वजन कम कर दिया गया है और कीमत वही रखी गई है. पारले और ब्रिटानिया जैसी कंपनियों की कुल बिक्री में छोटे पैक्स यानी 2 से 10 रुपए की कीमत वाले प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी तकरीबन 50% है.
गुजरे करीब 6 महीने से पारले जी ने 10 रुपए तक की कीमत वाले पैक्स में कीमतों को छिपे तौर पर 7-8 फीसदी तक बढ़ा दिया है. ऐसा इन पैक्स में सामान की क्वांटिटी घटाकर किया गया है. अमूल की छाछ में भी ऐसा ही हुआ है…10 रुपए वाले पैक में अब कम छाछ मिल रही है.
10-12 रुपए वाले नूडल्स का पैक भी आपको छोटा लग सकता है या इसके दाम बढ़ सकते हैं. 10 रुपए से ऊपर के पैक्स में कंपनियों ने सीधे दाम बढ़ा दिए हैं. रॉ मैटेरियल की कीमतों में तेजी का अंदाजा ऐसे लगा लीजिए कि मार्च तिमाही में पिछले साल के मुकाबले चीनी के दाम करीब 7 फीसदी बढ़े हैं. गेहूं तो जैसे एकदम आसमान की ओर भागा है.
कम फसल, एक्सपोर्ट पर जोर जैसे फैक्टर्स ने दाम बढ़ा दिए हैं और अब रेडी टू ईट चीजें बनाने वाली कंपनियों के हाथ–पैर फूले हुए हैं. हालात ये हैं कि 5 रुपए वाले पैक बंद ही हो सकते हैं.
बड़ी बात नहीं अगर 5 वाला पैक अब 10 रुपए में मिलने लगे. कंपनियांं भी डरी हुई हैं. सूर्या फूड एंड एग्रो का तो 70 फीसदी पोर्टफोलियो 5-10 रुपए की रेंज वाला ही है.
क्योंकि सस्ते पैक्स की बड़े तौर पर बिक्री गांव–देहात में होती है. पहले से सुस्त डिमांड के दौर में कंपनियों और ग्राहकों दोनों के लिए ये महंगाई अब सपसे बड़ी मुश्किल साबित होती दिख रही है.
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