सालभर में महंगे हुए कर्ज की वजह से फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की सिक्योरिटी पर लोन लेने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी। साथ में ऐसे लोन का आकार भी पिछले साल के मुकाबले 43 फीसद ज्यादा बढ़ गया है. रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि इस साल फरवरी तक फिक्स्ड डिपॉजिट की सिक्योरिटी पर दिए गए लोन का आंकड़ा 1.13 लाख करोड़ रुपए दर्ज किया गया जो पिछले साल इस दौरान 80 हजार करोड़ से भी कम था. इस तरह वित्त वर्ष 2022-23 में बैंकों की FD पर लिए जाने वाला लोन 10 साल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है.
क्या है कारण? बैंक FD के बदले लिया गया लोन पर्सनल लोन या बिजनस लोन के मुकाबले काफी सस्ता पड़ता है. ज्यादातर बैंक लोन देते वक्त FD के उपर सिर्फ 1 से 1.5 फीसद ज्यादा ब्याज लेते हैं. इस लिहाज से ये लोन इन्हें सिर्फ 8 या 9 फीसद की ब्याज दरों पर मिल जाता है. वहीं महंगे लोन के इस दौर में पर्सनल लोन की ब्याज दरें दहाई के अंकों में पहुंच चुकी हैं. उदाहरण के तौर पर SBI बैंक लोन देते वक्त FD की ब्याज दरों के ऊपर एक फीसदी ज्यादा ब्याज लेता है. वहीं SBI के दो साल के पर्सनल लोन की दरें 14 फीसदी तक हैं. इसलिए लोग सामान्य लोन लेने की बजाय ‘लोन अगेन्स्ट FD’ का विकल्प चुन रहे हैं. ज्यादातर बैंक FD की जमा राशि का 95 फीसदी तक लोन के रूप में मुहैया कराते हैं. FD पर लोन लेने का एक और फायदा है कि इसमें सामान्य प्रकिया के मुकाबले पेपरवर्क कम होता है.
कोई प्रोसेसिंग फीस नहीं जब हम बैंक या फाइनेंस कंपनी से पर्सनल या बिजनेस लोन लेते हैं तो उस पर फाइल चार्ज या प्रोसेसिंग के नाम पर फीस वसूली जाती है. लेकिन एफडी के बदले लोन पर किसी तरह का फीस नहीं ली जाती है। दूसरी ओर पर्सनल लोन पर कई तीन फीसद तक की प्रोसेसिंग फीस चार्ज करते हैं. FD पर लोन लेने का एक लाभ ये भी है कि इसमें प्रीपेमेंट पेनल्टी नहीं वसूली जाती है. यानी अगर आपके पास पैसे हैं तो आप लोन की अवधि से पहले लोन का पूरा भुगतान कर सकते हैं. वहीं कई बैंक पर्सनल लोन का प्रीपेमेंट करने पर पांच फीसद तक का शुल्क वसूलते हैं.
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