Retirement Planning: अगर आप 35 साल के हो चुके हैं और अभी तक आपने रिटायरमेंट के लिए कोई प्लानिंग नहीं की है तो आपको इसमें अब और देरी नहीं करनी चाहिए.
हालांकि, भारत में रिटायरमेंट प्लानिंग (Retirement Planning) को लेकर ज्यादा जागरूकता नहीं है. ऐसे में भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा तेजी से बिना किसी रिटायरमेंट प्लान के रिटायर हो रहा है.
सेबी रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजरी फर्म Fintoo के फाउंडर मनीष हिंगर के मुताबिक, “62% लोग रिटायरमेंट के बाद भी काम करने के लिए मजबूर हैं.”
हिंगर कहते हैं कि ऐसे लोग या तो इस वजह से रिटायरमेंट फंड इकट्ठा नहीं कर पाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि बुढ़ापे में बच्चे उनका ख्याल रखेंगे. कई दफा ऐसा होता है कि लोग एक पर्याप्त फंड तैयार करने से चूक जाते हैं.
रिटायरमेंट प्लानिंग में क्या गलती हो रही है?
PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड और Nielsen का सर्वे बताता है कि 70% से ज्यादा लोगों के पास रिटायरमेंट प्लान (Retirement Planning) नहीं है.
साथ ही जिन लोगों ने इसे लेकर कोई प्लान बनाया भी है उनमें से हर 5 में से केवल 1 शख्स ने इसमें महंगाई को शामिल किया है.
रिटयरमेंट के लिए 41% भारतीय इंश्योरेंस खरीदते हैं, जबकि 37% बैंक FD में पैसा लगाते हैं.
मनीष हिंगर कहते हैं, “लोगों को लगता है कि वे इंश्योरेंस और FD के जरिए जो भी पूंजी बचाएंगे वो बुढ़ापे के लिए काफी रहेगी. ऐसे में सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि आपको बुढ़ापे के लिए कितने पैसों की जरूरत पड़ेगी और फिर उस हिसाब से निवेश कीजिए.”
रिटायरमेंट के निवेश में किन बातों का रखें ख्याल?
35 से 40 की उम्र रिटायरमेंट प्लानिंग (Retirement Planning) के लिए सही रहती है. साथ ही इसमें महंगाई और इलाज के खर्च को जरूर शामिल करें.
जितनी जल्दी प्लानिंग शुरू करेंगे 60 साल की उम्र तक उतनी बड़ी रकम जुटा पाएंगे.
अपने रिटायरमेंट निवेश को तीन हिस्से में बांटिए- पहला, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) या एम्पलॉईज प्रॉविडेंट फंड (EPF) जैसे इंस्ट्रूमेंट में पैसा लगाएं.
दूसरा, एक कमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश करें जिससे रेंट के तौर पर एक नियमित कमाई आती रहे और तीसरा, म्यूचुअल फंड जैसे साधन में निवेश करें.
इसकेअलावा, रिटायरमेंट (Retirement Planning) के बाद आपको कितना पैसा चाहिए उस हिसाब से अपने निवेश की प्लानिंग शुरू करें.
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