राहुल दिल्ली के एक बड़े कारोबारी हैं. उनको आज सुबह मुंबई से एक फोन आता है. सर शेयर बाजार में पैसा लगाना चाहते हैं तो PMS के माध्यम से लगाइए. राहुल को लगा कोई फ्रॉड कॉल है, क्योंकि म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार में ट्रेडिंग ये सब तो सुना था लेकिन पीएमएस उनके लिए नया शब्द था. तो राहुल ने अपने सीए अंकित को फोन लगाया और पूछा ये शेयर बाजार में पीएमएस भी कुछ होता है? अंकित ने बताया जी हां होता है और यह विकल्प आप जैसे बड़े पूंजी वाले लोगों के लिए बनाया गया है.
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस ऐसी प्रोफेशनल फाइनेंशियल सर्विस होती है, जिसमें कुशल पोर्टफोलियो मैनेजर और स्टॉक्स प्रोफेशनल अपनी रिसर्च टीम की मदद से निवेशक के पोर्टफोलियो को मैनेज करते हैं. पीएमएस के जरिए कोई निवेशक शेयर बाजार के अपने पोर्टफोलियो से ज्यादा कमाई कर सकता है और जोखिम कम से कम कर सकता है. पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज में किसी निवेशक के पर्सनलाइजेशन पर जोर दिया जाता है. किसी ग्राहक की जरूरत और तरजीह के आधार पर मैनेजर पोर्टफोलियो तैयार करते हैं.
पीएमएस में दो तरह के प्लान होते हैं – डिस्क्रीशनरी और नॉन डिस्क्रीशनरी. डिस्क्रीशनरी प्लान में फंड मैनेजर की डिसीजन मेकिंग में नियंत्रण होता है. नॉन डिस्क्रीशनरी प्लान में फंड मैनेजर क्लाइंट से पूछकर खरीद या बिक्री करता है. कई पीएमएस सिर्फ एडवाइजरी यानी परामर्श सेवाएं देती हैं. पीएमएस को पूलिंग की इजाजत नहीं होती यानी पीएमएस किसी एक स्कीम में कई लोगों का पैसा लेकर उन्हें यूनिट जारी नहीं कर सकते. हालांकि पीएमएस की रणनीति म्यूचुअल फंड्स की तरह ही होती है. पीएमएस एक मॉडल पोर्टफोलियो जारी करता है, इसलिए इसे किसी स्कीम की जगह एक स्ट्रेटजी यानी रणनीति माना जाता है.
कौन कर सकता है निवेश? पीएमएस में आम आदमी निवेश नहीं कर सकता क्योंकि इसमें तो न्यूनतम निवेश ही 50 लाख रुपए से शुरू होता है. यानी इसमें एचएनआई यानी बड़े निवेशक ही निवेश करते हैं. दूसरी तरफ, म्यूचुअल फंड प्रोफेशनल तरीके से मैनेज होने वाले फंड के एक पूल होते हैं जिनमें निवेशकों से हासिल पैसे से शेयर या बॉन्ड खरीदे जाते हैं. किसी म्यूचुअल फंड में निवेशक 100 रुपए से भी निवेश शुरू कर सकता है. इसकी वजह से आम निवेशकों को म्यूचुअल फंड में निवेश ज्यादा पसंद आता है.
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज में सिर्फ 20 से 30 शेयरों का चुनाव करते हुए ज्यादा सलेक्टिव रवैया अपनाया जाता है. दूसरी तरफ, म्यूचुअल फंड्स में निवेशकों को ऐसी विविधता वाला पोर्टफोलियो मिलता है जिसमें 40 से 50 शेयर होते हैं. पीएमएस और म्यूचुअल फंड्स में एक प्रमुख अंतर निवेश के मामले में लचीलापन है. निवेश एसेट चुनने के मामले में पीएमएस में ज्यादा आजादी होती है. दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड, एसेट के प्रकार, सिक्योरिटी के चयन, प्रतिशत आवंटन, एक्सपेंश रेश्यो आदि के आधार पर अपने चयन प्रक्रिया में ज्यादा रेगुलेटेड होते हैं.
शानदार रिटर्न पीएमएस रिटर्न एक साल में 50 से 80 फीसद तक हो सकता है, दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड्स की बात करें इक्विटी फंड्स में एक साल में ज्यादा से ज्यादा 20 फीसद के आसपास का सालाना रिटर्न मिलते दखा गया है. अब यह देखते हैं कि पीएमएस पर टैक्स किस तरह से लगता है. म्यूचुअल फंड्स में पीएमएस के मुकाबले टैक्स के फायदे ज्यादा होते हैं. फंड मैनेजर को शेयरों की खरीद या बिक्री पर कोई टैक्स नहीं देना होता. टैक्स तभी लगता है, जब निवेशक यूनिट बेचकर कोई फायदा कमाता है. दूसरी तरफ, पीएमएस जब भी शेयरों की बिक्री करते हैं या डिविडेंड हासिल करते हैं तो उन्हें टैक्स देना होता है.
एसोसिएशन ऑफ रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स यानी ARIA के सदस्य जय ठक्कर ने कहा कि पीएमएस में निवेश करने के लिए यह जरूरी है कि निवेशक उतार-चढ़ाव के लिए ज्यादा जोखिम लेने को तैयार हो, उसके पास वित्तीय जोखिम लेने के लिए पर्याप्त कवरेज यानी व्यवस्था हो और 10 साल या उससे ज्यादा का टाइम होराइजन हो.
महंगा निवेश अगर आप PMS के जरिए निवेश कर रहे हैं तो पूरी तहकीकात और निगरानी जरूरी है कि आपके गोल और उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन है या नहीं. निवेशक को यह देखना चाहिए कि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट टीम कितनी सक्षम है.
यह बात भी ध्यान रखनी होगी कि PMS में ऊंचा रिटर्न तो मिलता है, लेकिन इसमें फीस और टैक्स भी ज्यादा होता है. इसमें फीस 1 से 3 फीसद हो सकता है. इसके अलावा एंट्रेस लोड चार्ज और एडमिनिस्ट्रेशन फीस भी लग सकता है. तो कोई पीएमएस प्रोवाइडर चुनते समय सभी तरह के फीस की तुलना करें और अपनी जरूरत के हिसाब से सबसे किफायती समाधान तलाशें.
प्रोफेशनल मैनेजमेंट इस सर्विस के जरिए निवेशक को पोर्टफोलियो के प्रोफेशनल मैनेजमेंट का फायदा मिलता है. इससे बेहतर रिटर्न हासिल करने की गुंजाइश रहती है.
लगातार निगरानी इसके जरिए निवेशक के पोर्टफोलियो की लगातार मॉनिटरिंग होती है और समय-समय पर इसमें बदलाव होता रहता है.
जोखिम पर नियंत्रण रिसर्च टीम लगातार रिसर्च कर निवेश की रणनीति बनाती है जिसकी वजह से जोखिम को कम से कम किया जा सकता है.
कस्टमाइज सर्विस पीएमएस ग्राहकों को कस्टमाइज यानी उनकी जरूरत के मुताबिक सेवाएं देते हैं.
लचीलापन निवेशक का कितना पैसा बाजार में लगाना है इसको लेकर पोर्टफोलियो मैनेजर लचीला रुख रखता है. यह बाजार में मिलने वाले अवसर पर निर्भर करता है.
पारदर्शिता पीएमएस लगातार निवेशक से संपर्क बनाए रखते हैं और निवेशक को नियमित अंतराल पर प्रदर्शन की जानकारी मिलती रहती है. निवेशक को इस बारे में भी पूरी जानकारी दी जाती है कि उसका पैसा किन सिक्योरिटीज में लगाया जा रहा है.
भारी एंट्री सीमा
पीएमएस में न्यूनतम निवेश 50 लाख रुपए का हो सकता है, इसलिए यह सिर्फ बड़े निवेशकों यानी HNI के लिए सही है.
ऊंची फीस
पीएमएस अपनी सेवाओं के लिए जो फीस लेते हैं वह म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले बहुत ज्यादा होते हैं.
ज्यादा टैक्स
म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले पीएमएस निवेश में ज्यादा टैक्स देना होता है.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।