रेगुलेटर ने ये भी कहा है कि प्रमुख एंप्लॉयीज को आवंटित की गई यूनिट्स कोड ऑफ कंडक्ट के उल्लंघन, फ्रॉड या लापरवाही की दशा में क्लॉबैक के अधीन होंगी.
यानी इन यूनिट्स को रिडीम कर लिया जाएगा और इसका पैसा स्कीम में डाल दिया जाएगा.
क्या इनवेस्टर्स को इससे चिंतित होना चाहिए?
इनवेस्टर्स के लिहाज से यह एक अच्छा कदम है क्योंकि इससे फंड हाउस और ज्यादा उत्तरदायी बनेंगे.
आनंद राठी वेल्थ के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज कहते हैं, “म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) इंडस्ट्री में गवर्नेंस पर भरोसा बढ़ेगा. परफॉर्मेंस पैरामीटर पर शायद ही कोई फर्क पड़े क्योंकि ज्यादातर फंड मैनेजर्स पहले से ही अपनी स्कीमों में पैसा लगाते हैं.”
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