अगर आप भी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं और हर महीने आपके अकाउंट से SIP के पैसे कटते हैं. तो ये जरूरी अपडेट आपके लिए ही है. हो सकता है आप जैसे लाखों निवेशकों को केवाईसी की माथापच्ची एक बार फिर से करनी पड़े… बता दें कि म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए ‘नो योर कस्टमर’ (KYC) नियमों में 1 अप्रैल से कुछ बदलाव हुए हैं. अगर आप भी म्यूचुअल फंडों में निवेश करते हैं तो इस बदलाव को समझना आपके लिए जरूरी है.
रिजर्व बैंक ने केवाईसी के लिए वैध दस्तावेजों की लिस्ट को घटाकर छोटा कर दिया है. अब आधार, पासपोर्ट और वोटर आईडी के अलावा आपने अन्य दस्तावेज जैसे यूटिलिटी बिल के जरिए केवाईसी करवाया है. तो आपको फिर से केवाईसी अपडेट करवाना होगा. अगर आप KYC अपडेट नहीं करवाते हैं. तो संभव है कि आपका अकाउंट फ्रीज हो जाए, या आप लेन-देन न कर सकें. नए नियमों के अनुसार सिर्फ अपने डॉक्यूमेंट सबमिट करना ही जरूरी नहीं है. आपको अपना मेल आईडी और मोबाइल नंबर भी ओटीपी के माध्यम से वैरिफाई करवाना जरूरी है. जिन निवेशकों के मोबाइल नंबर और ई-मेल वेरिफायड नहीं हैं. उनका अकाउंट भी होल्ड कर दिया जाएगा. आधिकारिक तौर पर मान्य यानि OVD दस्तावेजों न होने पर 1 अप्रैल के बाद से कई निवेशकों का केवाईसी स्टेटस इनवैलिड हो गया है. अब उन्हें नए सिरे से केवाईसी करवाना होगा.
यहां सबसे पहले जरूरी है कि हम OVD यानि आधिकारिक रूप से मान्य दस्तावेजों को समझ लेते हैं. अब इस लिस्ट को घटाकर छोटा कर दिया गया है. अब KYC के लिए आधिकारिक तौर पर मान्य दस्तावेजों में आाधार, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, नरेगा जॉब कार्ड और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर द्वारा जारी ऐसा लेटर शामिल है जिसमें नाम और पता हो.
अब जान लेते हैं कि किन निवेशकों को केवाईसी अपडेट करवाना होगा. यहां आपको बता दें कि जिन निवेशकों ने बैंक स्टेटमेंट, फोन बिल, गैस का बिल देकर केवाईसी करवाया था. संभव है 1 अप्रैल के बाद उनका म्यूचुअल फंड ट्रांजेक्शन बंद हो गया हो… ऐसे निवेशकों को आधार, पासपोर्ट और वोटर आईडी जैसे आधिकारिक तौर पर मान्य दस्तावेजों से दोबारा केवाईसी करवाना होगा.
यहां अब निवेशकों को दो शब्दों को भी समझना होगा. ये नए शब्द हैं केवाईसी रजिस्टर्ड और केवाईसी वैलिडेटेड, सबसे पहले समझते हैं क्या है ‘केवाईसी रजिस्टर्ड’ स्टेटस. अगर आप भी केवाईसी रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड निवेशक की कैटेगरी में आते हैं. तो इसका मतलब समझिए. आपने भौतिक आधार या आधिकारिक तौर पर मान्य दस्तावेज जैसे पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, नरेगा जॉब कार्ड और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर द्वारा जारी ऐसा लेटर के जरिये अपना केवाईसी करवाया. तब भी आपका केवाईसी पूर्ण नहीं माना जाएगा.
आप KYC Registered की श्रेणी में आएंगे. ऐसे निवेशक नए फंड कंपनियों के साथ लेनदेन नहीं सकेंगे. दस्तावेज जमा करने के साथ ही आपको मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी दोनों को सत्यापित करवाना होगा. मोबाइल और ईमेल वैरिफाई होने के बाद आपको ‘केवाईसी वैलिडेटेड’ स्टेटस मिल जाता हैं. यानी आपका केवाईसी पूरा हो चुका है.
जिन म्यूचुअल फंड निवेशकों का केवाईसी स्टेटस ‘ऑन होल्ड’ है या ‘केवाईसी रजिस्टर्ड’ है. उन्हें नए सिरे से आधिकारिक तौर पर मान्य दस्तावेजों के जरिए. फिर से केवाईसी करवाना होगा. अगर आपका PAN और Aadhaar लिंक्ड नहीं है, तो अपना केवाईसी अपडेट नहीं कर सकते. इतना ही नहीं नाम और एड्रेस लिखते समय अगर अपर केस और लोअर केस अक्षर मेल नहीं खाते तब भी केवाईसी रिजेक्ट हो सकता है.
अब मौजूदा स्थिति को समझ लेते हैं. फिलहाल अभी तो केवाईसी वैलिटेड होना. निवेशकों की प्राथमिकता है. 30 अप्रैल के बाद म्यूचुअल फंड निवेशकों के केवाईसी और PAN की भी जांच की जाएगी कि वह मेल खाता है या नहीं. इसमें नाम और जन्मतिथि की जांच की जा सकती है. अगर पैन और केवाईसी मेल नहीं खाया तो परेशानी हो सकती है.
समस्या इतनी ही नहीं है. मनी9 ने अपनी जांच में पाया है कि तमाम कोशिशें करने के बाद भी निवेशकों को कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. केवाईसी रजिस्ट्रेशन एजेंसियां यानि KRA अलग-अलग दस्तावेजों को तरजीह दे रही हैं, जैसे kFintech ड्राइविंग लाइसेंस को भी OVD के तौर पर स्वीकार कर रहा है, लेकिन CAMS इसे स्वीकार नहीं करता. माना जा रहा है कि इसपर जल्द ही धुंध साफ होगी और आम निवेशकों को ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ेगी.
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