निवेशकों के लिए SBI म्यूचुअल फंड के एक नए फंड में पैसा लगाने का मौका है. ये स्कीम एक Fixed मैच्योरिटी प्लान (FMP) है. स्कीम का नाम SBI Fixed Maturity Plan (FMP) Series 44 (1855 Days) है.
इनकम कैटेगरी की इस स्कीम में आप 1 जून तक ही पैसा लगा सकते हैं. 1 जून को ये न्यू फंड ऑफर (NFO) बंद हो रहा है और क्लोज-एंडेड स्कीम होने के कारण इस तारीख के बाद आप इसमें निवेश नहीं कर सकेंगे.
5,000 रुपये का न्यूनतम निवेश
इस स्कीम में 5,000 रुपये से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. इस स्कीम का निवेश सरकारी सिक्योरिटीज, सरकारी और कॉरपोरेट कंपनियों के बॉन्ड और मनी मार्केट विकल्पों में निवेश होगा.
आप इस स्कीम में मैच्योरिटी से पहले पैसा नहीं निकाल सकते हैं. स्कीम के तहत किए गए डेट मार्केट निवेश स्कीम की अवधि के करीब ही मैच्योर होंगे.
SBI म्यूचुअल फंड की इस स्कीम का निवेश 1855 दिनों के बाद मैच्योर होगा – यानी 5 साल 1 महीना.
मनी मंत्रा के फाउंडर विरल भट्ट का कहना है, “अब तक का प्रदर्शन देखें तो बैंक के Fixed डिपॉजिट के मुकाबले FMPs ने बेहतर रिटर्न दिए हैं. लेकिन. निवेशकों को ध्यान देना चाहिए कि FD में रिटर्न की गारंटी रहती है लेकिन FMP में रिटर्न की गारंटी नहीं है.”
हालांकि, वे मानते हैं कि इनमें रिस्क इक्विटी फंड्स की तुलना में कम है. पर FMP में भी इंट्रस्ट रेट बढ़ने के रिस्क शामिल हैं.
FD सर्टिफिकेट पर आपको मैच्योरिटी पर मिलने वाली तय रकम बताई गई होती है. लेकिन FMP पर रिटर्न कितना मिलेगा इसकी गारंटी नहीं रहती.
FMP एक तरह के डेट फंड हैं जिनकी मैच्योरिटी की तारीख तय होती है जो एक महीने से लेकर 5 साल तक की हो सकती है. क्लोज-एंडेड फंड में निवेशकों को सिर्फ न्यू फंड ऑफर (NFO) के दौरान ही पैसा लगाने का मौका होता है और इस रकम को सिर्फ मैच्योरिटी पर ही निकाला जा सकता है. एक बार NFO बंद हो गया तो और यूनिट नहीं खरीदी जा सकती.
ये फंड स्टॉक मार्केट पर भी लिस्ट होते हैं लेकिन इनमें लिक्विडिटी काफी कम होती है. इन स्कीम का एक्सपेंस रेश्यो भी कम होती है. एक्सपेंस रेश्यो वो चार्ज है जो म्यूचुअल फंड निवेश पर बतौर खर्च या फीस फंड हाउस आपसे वसूलता है.
डेट फंड होने के नाते 36 महीनों की ज्यादा की अवधि होने पर इनमें 20 फीसदी का टैक्स लगता है. लेकिन इस टैक्स पर इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है. इंडेक्सेशन यानी आपकी रिटर्न की कमाई में महंगाई दर को घटाकर हुई कमाई पर ही टैक्स लगेगा.
विरल भट्ट के मुताबिक टैक्स देनदारी की वजह से ही FD की तुलना में 3 साल से ज्यादा की FMP लोगों में ज्यादा प्रचलित हो रही है. FD पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स लगता है. अगर कोई 30 फीसदी के टैक्स स्लैब में आता है तो उसकी FD की कमाई पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा. FD एक गारंटीड रिटर्न वाला विकल्प जरूर है लेकिन टैक्स-बचत के लिए ज्यादा लोकप्रिय नहीं.
अगर 36 महीनों से कम अवधि की FMP है तो ये आपकी इनकम में जोड़ी जाएगी और FD की ही तरह इसपर भी टैक्स स्लैब के मुताबिक लगेगा.
भट्ट मानते हैं कि सर्पल्स पैसे को कहीं निवेश करना चाहते हैं तो FMP अच्छे विकल्प हैं. इनमें तय अवधि के निवेश पर FD के मुकाबले अच्छे रिटर्न की कमाई हो सकती है. लंबी अवधि में भी इक्विटी बाजार से जुड़े रिस्क नहीं लेना चाहते और शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से डरते हैं तो वे लोग दिग्गज FMPs में निवेश कर सकते हैं.
उनका कहना है कि निवेश से पहले ध्यान दें कि क्लोज-एंडेड स्कीम होने की वजह से इनमें मैच्योरिटी से पहले पैसा निकाल नहीं सकते.
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