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महंगाई के दौर में पैसा कमाने के साथ उसका निवेश करने की भी जरूरत है ताकि रिटायरमेंट के बाद आपको किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़े.
अगर किसी म्यूचुअल फंड का परफॉर्मेंस खराब चल रहा हो तो उनके निवेशकों को क्या करना चाहिए? क्या ऐसी स्कीम्स की यूनिट बेचकर बाहर निकल जाना चाहिए?
आमतौर पर SIP यानी Systematic Investment Plan को लोग मंथली पेमेंट ही समझते हैं. लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है.
कॉन्ट्रा म्यूचुअल फंड का नाम 'कॉन्ट्रैरियन' इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी यानी धारा के विपरीत चलकर निवेश करने की रणनीति पर रखा गया है.
कॉन्ट्रा म्यूचुअल फंड्स ऐसे इक्विटी म्यूचुअल फंड्स हैं जो बाजार के ट्रेंड के मुताबिक निवेश नहीं करते, बल्कि उसके विपरीत निवेश करते हैं.
वॉरेन बफेट जैसे कई निवेशक बाजार के ट्रेंड को फॉलो नहीं करते और उसके उलट चलते हैं. वे कॉन्ट्रैरियन इनवेस्टर होते हैं.
जब आप वित्तीय बाजारों में निवेश करते हैं तो दो एसेट कीमतों में कोरिलेशन यानी सह-संबंध खासतौर से मददगार होते हैं.
बैंकिंग और PSU फंड बहुत कम जोखिम वाले निवेश साधन होते हैं, क्योंकि वे ज्यादातर AAA रेटिंग या ऐसी ही अन्य सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं.
बैकिंग और PSU फंड्स को आमतौर पर दूसरे डेट फंड्स के मुकाबले कम जोखिम वाला माना जाता है.
असल में ये फंड मनी मार्केट सिक्योरिटीज में पैसा लगाते हैं. यानी मनी मार्केट फंड डेट कैटेगरी में आते हैं.