Flexicap Fund vs Multicap Fund: जब म्यूचुअल फंड मार्केट में इतने फंड मौजूद हैं तो निवेशकों का उलझन में पड़ना लाजमी है. म्यूचुअल फंड एसोसिएशन AMFI के डेटा के मुताबिक, मार्केट में इस वक्त 1500 से भी ज्यादा फंड मौजूद हैं. 100 रुपये की SIP करने वाले निवेशक से लेकर टैक्स बचत, एक्सचेंज पर ट्रेड होने वाले फंड और अलग-अलग जोखिम क्षमता वाले निवेशकों के लिए फंड मौजूद हैं.
निवेशकों को अपने लिए सही म्यूचुअल फंड चुनने के लिए कई पैमानों पर सोचना होता है. रिस्क प्रोफाइल से लेकर अपनी निवेश अवधि और लक्ष्यों से तालमेल बैठे, ऐसे फंड की तलाश रहती है. लेकिन, इन ढेरों विकल्पों में से दो ऐसी कैटेगरी हैं जिनमें उलझन सबसे ज्यादा है. ये हैं फ्लेक्सीकैप और मल्टीकैप.
इन दोनों का फर्क समझने से पहले जान लें कि मार्केट कैप क्या है. मार्केट कैप कंपनी का साइज बताने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. साइज के हिसाब से टॉप 100 कंपनियां लार्जकैप कहलाती हैं, वहीं 100-250 के बीच रैंक वाली कंपनियां मिडकैप होती हैं और उससे छोटी स्मॉलकैप.
Flexicap Fund vs Multicap Fund: मार्केट रेगुलेटर SEBI ने पिछले साल मल्टीकैप फंड्स में अलग-अलग मार्केट कैप की कंपनियों में निवेश की सीमा तय कर दी है. मल्टीकैप फंड्स में पहले जो स्वतंत्रता किसी फंड मैनेजर को मिलती तो वो घटकर एक चौथाई हो गई. पहले इस कैटेगरी में किसी भी मार्केट कैप की कंपनी में निवेश किया जा सकता था. सेबी के नियमों के बाद मल्टीकैप फंड में मिडकैप, स्मॉलकैप और लार्जकैप में कम से कम 25-25 फीसदी निवेश करने की सीमा तय कर दी गई.
फुल सर्कल फाइनेंशियल प्लानर्स के कल्पेश आशर कहते हैं, “मल्टीकैप में कैपिंग तय हो जाने से फंड मैनेजर के पास अब सिर्फ 25 फीसदी पर स्वतंत्रता है. लेकिन, ये 25 फीसदी भी फंड के रिस्क प्रोफाइल में बदलाव ला सकती है. अगर फंड मैनेजर को लगता है कि स्मॉलकैप का प्रदर्शन अच्छा रहेगा तो वो इस 25 फीसदी में से एक्सपोजर स्मॉलकैप कंपनियों में बढ़ा सकता है. ऐसी स्थिति में फंड में रिस्क बढ़ जाएगा.”
मल्टीकैप में इस बदलाव पर कई फंड हाउस ने आपत्ति जताई थी. इसके बाद सेबी ने उन्हें फ्लेक्सीकैप कैटेगरी का विकल्प दिया.
फ्लेक्सीकैप कैटेगरी के फंड में किसी भी मार्केट कैप की कंपनी में कितना भी निवेश किया जा सकता है, ये निर्णय फंड मैनेजर लेगा. इस कैटेगरी के फंड में कम से कम 65 फीसदी निवेश इक्विटी में होना चाहिए. ज्यादातर फंड्स जो पहले मल्टीकैप में थे वे शिफ्ट होकर फ्लेक्सीकैप हो गए.
कुल मिलाकर ये कि इन दोनों कैटेगरी के फंड्स में अलग-अलग मार्केट कैप वाली कंपनियों में निवेश किया जा सकता है, लेकिन मल्टीकैप में हर मार्केट कैप के लिए न्यूनतम निवेश की सीमा तय कर दी गई है.
AMFI के मुताबिक, मई 2021 तक कुल 25 फ्लेक्सीकैप फंड हैं और 11 मल्टीकैप कैटेगरी के फंड्स. गौरतलब है कि मल्टीकैप कैटेगरी में अब भी निवेशकों का रुझान ज्यादा है. इस कैटेगरी में मई महीने में 1,954.19 करोड़ रुपये का निवेश आया है. इक्विटी के इसी कैटेगरी के फंड में सबसे ज्यादा निवेश आया है. वहीं, फ्लेक्सीकैप में 1,130.48 करोड़ रुपये का निवेश मई महीने में आया है.
लेकिन, फ्लेक्सीकैप का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 1,71,160.03 करोड़ रुपये है जबकि मल्टीकैप फंड्स का AUM 23,482.59 करोड़ रुपये है. नए फोलियो के लिहाज से भी फ्लेक्सीकैप में रुझान ज्यादा है.
आशर भी कहते हैं कि मल्टीकैप और फ्लेक्सीकैप के बीच वे फ्लेक्सीकैप को ही तवज्जो देते हैं क्योंकि यहां फंड मैनेजर के पास रिस्क मैनेज करने की ज्यादा स्वतंत्रता मिलती है और वे ज्यादा बेहतर तरीके से निवेश मैनेज कर पाते हैं.
यहां आप दोनों कैटेगरी के पिछले 6 महीने के रिटर्न देख सकते हैं. 6 महीने के रिटर्न देखकर फंड का चुनाव नहीं किया जाता, लेकिन इन कैटेगरी में बदलाव हुए अभी 6 महीने भी पूरे नहीं हुए हैं इसलिए इससे ज्यादा समय का रिटर्न से तुलना मुश्किल है. ध्यान रहे कि इक्विटी की किसी भी कैटेगरी में जोखिम होता है और इसमें एडवाइजर्स लंबी अवधि के लिए ही निवेश की सलाह देते हैं.
Flexicap Funds, Source: ValueResearch
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