विदेशी निवेशकों के तेजी से पैसे निकालने के बावजूद शेयर मार्केट डटा हुआ है. एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड (MF) योजनाओं में बढ़े निवेश के चलते इसे काफी सहारा मिला है. इससे शेयर बाजार में म्यूचुअल फंड कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ाने में भी मदद मिली है. एनएसई की एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च तिमाही में भारतीय सूचीबद्ध कंपनियों में म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी 8.9% के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जबकि विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी 12 साल के निचले स्तर 17.9% पर आ गई.
रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2024 तक एमएफ की कुल हिस्सेदारी में से पैसिव फंडों की हिस्सेदारी 1.7% पर स्थिर रही, जबकि बाकी 7.2% हिस्सेदारी एक्टिव फंडों के पास थी, जो पिछली तिमाही से 11 बेसिस प्वाइंट ज्यादा थी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय कंपनियों का व्यक्तिगत स्वामित्व भी बढ़ रहा है. पिछले 10 वर्षों में व्यक्तिगत निवेशकों की प्रत्यक्ष भागीदारी में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली है. डेटा के मुताबिक करीब 50,000 से अधिक व्यक्तिगत शेयरधारकों वाली कंपनियों की हिस्सेदारी दोगुनी से अधिक यानी लगभग 45.1% हो गई है.
2 लाख करोड़ रुपए रहा ग्रॉस इनफ्लो
AMFI के आंकड़ों से पता चलता है कि FY24 के दौरान SIP के ग्रॉस इनफ्लो लगभग 2 लाख करोड़ रुपए था, इसमें बढ़त देखने को मिली. इस वित्त वर्ष में एमएफ ने भारतीय इक्विटी में 2 लाख करोड़ रुपए की शुद्ध राशि डाली, जिससे पिछले तीन वर्षों में कुल नेट इनफ्लो 5.3 लाख करोड़ रुपए हो गया. आमतौर पर एसआईपी इनफ्लो ग्रॉस इनफ्लो के आंकड़े के 60-70% के बीच होता है.
विदेशी निवेशक निकाल रहें पैसा
पिछली तिमाही के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की ओर से लगातार पैसे निकाले जाने की वजह से गिरावट आई है. एनएसई लिस्टेड कंपनियों में करीब 36 बेसिस प्वाइंट की गिरावट के साथ 17.9% की डिप देखने को मिला. यह लगातार चौथी गिरावट है.