कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से शेयर बाजार भी घबराया हुआ है. ऐसे में निवेशकों का भी मन खट्टा हुआ है. एक बार फिर इक्विटी से निकल कर वो कोई सुरक्षित निवेश ढूंढ रहे हैं. अगर कोरोना के बढ़ता कहर यहीं नहीं रुका तो बाजार में भी गिरावट बढ़ सकती है. ऐसे में सवाल उठता है कि म्यूचुअल फंड निवेशकों (Mutual Fund Investors) को किस तरह की रणनीति पर काम करना चाहिए. इक्विटी फंड्स को लेकर उन्हें क्या करना चाहिए? सुंदरम म्यूचुअल फंड के MD और CEO सुनील सुब्रमण्यम ने मनी9 से खास चर्चा में इन सभी सवालों का जवाब दिया.
सुनील सुब्रमण्यम के मुताबिक, पिछले साल कोविड की वजह से बाजार में गिरावट (Stock Market Fall) से निवेशक डर गए थे, लेकिन करेक्शन के बाद सेंसेक्स में दोगुनी तेजी आई. उस वक्त जिन्होंने अपना पैसा नहीं निकाला होगा या टिके रहे होंगे उनका पैसा एक साल में डबल हो गया होगा. सुब्रमण्यम के मुताबिक, कोरोना जैसा संकट 10-15 साल में एक बार आता है, संकट से समय बाजार में ‘नर्वस रिएक्शन’ होता है. ऐसे में लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए खरीदारी का मौका बनता है.
सुब्रमण्यम सलाह देते हैं कि ऐसे वक्त में पैसा नहीं निकालना चाहिए. बाजार माहौल पर चलता है. कंपनियों का प्रदर्शन भले ही अच्छा हो, लेकिन बाजार में गिरावट आने से इन पर असर पड़ता है. लेकिन, रिकवरी के बाद यही सबसे पहले दौड़ लगाते हैं. इंडिया की ग्रोथ स्टोरी पर भरोसा रखना चाहिए, इन्वेस्टमेंट को जारी रखने का सही मौका है. आज का निवेश भविष्य में बढ़िया रिटर्न देगा.
सुब्रमण्यम के मुताबिक, कोविड की दूसरी लहर में निवेशक (Investors) पैसा नहीं निकलेंगे. पिछले साल पैसा निकालकर निवेशक पछताए थे, बाजार की बढ़त देखकर सेंटिमेंट्स बदल गए हैं. निवेशक भी समझ चुके हैं कि बाजार में भले ही गिरावट हो लेकिन यह एक या दो महीने में फिर सुधर जाएगा. इस बार निवेशकों को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है. इन्वेस्टमेंट चक्र के चलते रहने का मिलेगा फायदा. सरकार भी समझती है कि लॉकडाउन लगाने से इकोनॉमी पर असर पड़ेगा. सरकार इकोनॉमी को चलाना चाहती है, इसलिए कोरोना का असर उतना नहीं दिखेगा.
सुब्रमण्यम के मुताबिक, निवेशकों को इकोनॉमी (Economy) पर ध्यान देना चाहिए, कंपनियों की आय बढ़ने से भी फायदा मिलेगा. पिछली तिमाही में पॉजिटिव GDP का कंपनियों को फायदा मिलेगा. निवेश करने के लिए घरेलू सेक्टर्स पर फोकस रखें. कंजम्पशन सेक्टर में ज्यादा डिमांड आएगी. इससे कंजम्पशन वाली कंपनियों के शेयरों में भी बढ़त देखने को मिल सकती है.
इसके अलावा, बैंकिंग सेक्टर में भी सुधार दिखाई दे रहा है. पिछले एक साल में बैंक NPA से निकलकर बेहतर दरों पर कर्ज बांट रहे हैं. होम लोन को लेकर बैंक काफी एग्रेसिव हैं. बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर में पैसा लगा सकते हैं. बैंकों के नेट इंट्रस्ट मार्जिन में भी होगा सुधार. अगले डेढ़ से दो साल में सेक्टर अच्छा रिटर्न दे सकता है.
वहीं, लॉन्ग टर्म निवेश के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर फोकस रखना चाहिए. बजट में कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ाया गया है, इसका फायदा देखने को मिलेगा, साथ ही FDI आने से भी सेक्टर को फायदा मिलेगा. सरकार की PLI स्कीम का भी फायदा दिखाई देगा.
सुब्रमण्यम के मुताबिक, बाजार की दिशा को समझना बेहद जरूरी है. पिछली बार FIIs के निवेश से बड़ी कंपनियों के शेयर में तेजी आई थी. इसकी वजह से अब तक लार्जकैप स्टॉक्स का बोलबाला रहा. लेकिन, जैसे ही घरेलू निवेशकों की तरफ से इन्वेस्टमेंट आएगा तो सभी सेक्टर्स में ग्रोथ आएगी. इकोनॉमिक रिकवरी से मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में मौके बनेंगे. इनमें लार्जकैप की तुलना ज्यादा बढ़त दिखाई देगी. ऐसे समय में मल्टीकैप या फ्लेक्सीकैप फंड्स को पोर्टफोलियों में शामिल करना चाहिए. रिस्क लेने की क्षमता को ध्यान में रखकर ही निवेश करें.
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