म्यूचुअल फंड्स में बहुत से लोग निवेश करते हैं या करना चाहते हैं. लेकिन ज्यादातर लोगों में म्यूचुअल फंड्स के बारे में जानकारी का अभाव है. यही नहीं म्यूचुअल फंड्स के बारे में लोगों के मन में तरह-तरह की गलतफहमियां या मिथक बने हुए हैं. आइए ऐसी पांच बड़ी गलतफहमियों के बारे में जान लेते हैं. इनको समझने से आपके लिए म्यूचुअल फंड में निवेश आसान हो जाएगा.
1. म्यूचुअल फंड में कोई जोखिम नहीं होता बहुत से लोग यह समझते हैं कि म्यूचुअल फंड में निवेश में किसी तरह का जोखिम नहीं होता. यह तब है कि जब हर फंड के ऐड के अंत में यह डिस्क्लेमर जरूर आता है कि म्यूचुअल फंड्स आर सब्जेक्ट टु मार्केट रिस्कस.. सच तो यह है कि किसी शेयर की तरह ही ऐसे म्यूचुअल फंड्स का नेट एसेट वैल्यू भी काफी गिर सकता है, जो इक्विटी मार्केट में निवेश करते हैं. यहां तक की डेट फंड में भी निवेश ब्याज दरों के उतार-चढ़ाव के जोखिम से जुड़ा होता है. आप जितना ज्यादा रिटर्न की अपेक्षा करते हैं, जोखिम उतना ही ज्यादा हो सकता है.
2. म्यूचुअल फंड में स्थायी या गारंटीड रिटर्न होता है
कई लोग यह सोचते हैं कि म्यूचुअल फंड कुशल मैनेजर्स के द्वारा अच्छे तरीके से प्रबंधित होते हैं. इसलिए इनमें स्थायी रिटर्न मिलता है या इनमें रिटर्न मिलने की गारंटी होती है. लेकिन यह सच नहीं है. सच तो यह है कि इनका रिटर्न भी इनके अंडरलाइंग सिक्योरिटीज के बाजार में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है. इसलिए शेयर बाजार में भारी गिरावट के दौर में अक्सर इक्विटी फंड का रिटर्न नेगेटिव हो जाता है यानी इनमें भारी गिरावट आ सकती है.
3. कम NAV का फंड हायर NAV से बेहतर होता है
अक्सर लोग यह सोचते हैं कि उन्होंने कम NAV वाले फंड में पैसा लगाया है तो यह हायर NAV वाले फंड से बेहतर होगा.. लेकिन यह जरूरी नहीं है. मान लीजिए कि आपने किसी स्कीम A की NFO में 20,000 रुपया लगाया जिसका NAV 10 रुपए है. इसी तरह आपने एक पुरानी स्कीम B में भी 20 हजार रुपए लगाए जिसका NAV 20 रुपए है. तो इस तरह आपको स्कीम A के 2000 यूनिट और स्कीम B के 1,000 यूनिट मिलेंगे. अब मान लीजिए कि दोनों फंड ने अपनी पूरा निवेश किसी एक साधन में किया जिसमें एक साल में 10 फीसद की बढ़त होती है. तो इन दोनों फंड के NAV में भी 10 फीसद की बढ़त होगी. यानी इनका NAV क्रमश: 11 रुपए और 22 रुपए हो जाएगा. तो आपके दोनों स्कीम में निवेश की वैल्यू 22 हजार रुपए होगी यानी आपको एक समान 10 फीसदी का ही रिटर्न ही हासिल होगा.
4. सभी म्यूचुअल फंड शेयर बाजार में निवेश करते हैं
म्यूचुअल फंड्स के बारे में कई लोग यह समझते हैं कि ये सिर्फ शेयरों में निवेश करते हैं. इसकी वजह यह है कि अक्सर म्यूचुअल फंड्स में हाई रिटर्न हासिल होता है. सच यह है कि म्यूचुअल फंड इक्विटी, डेट, गवर्नमेंट बॉन्ड और यहां तक कि रियल एस्टेट ट्रस्ट में भी निवेश करते हैं. इसके मुताबिक म्यूचुअल फंड अलग-अलग कैटेगिरी के होते हैं.
5. म्यूचुअल फंड केवल लॉन्ग टर्म के लिए होते हैं
म्यूचुअल फंड्स के बारे में एक धारणा यह है कि ये लॉन्ग टर्म के निवेश साधन होते हैं. यह भी पूरी तरह से सच नहीं है. यह बात ठीक है कि पांच साल या उससे अधिक के लॉन्ग टर्म के निवेश में आपको बहुत अच्छा रिटर्न हासिल होता है, लेकिन कई शॉर्ट टर्म के फंड भी होते हैं. इनमें शॉर्ट टर्म डेट या लिक्विड फंड आते हैं. इन शॉर्ट टर्म के फंड में रिटर्न कम मिलता है, लेकिन अक्सर इनमें एफडी या आरडी जैसे साधनों के मुकाबले बेहतर रिटर्न हासिल होता है.
अब आपको समझ आ गया होगा कि म्यूचुअल फंड्स के बारे में आपके मन अभी तक जो कई गलतफहमियां थीं, उनकी सच्चाई क्या है. तो सुनी-सुनाई बातों पर अमल करने की जगह सही जानकारी और योजना के साथ अगर आप म्यूचुअल फंड्स में निवेश करेंगे तो अच्छी रकम जुटाना आपके लिए आसान हो जाएगा.
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