जयपुर की रचना जौहरी स्मॉलकैप और मिडकैप कंपनियों में पैसा लगाना पसंद करती हैं. वजह साफ है. बाजार जब चलता है तो यहां तेजी ज्यादा आती है. वो इसके जोखिम को भी समझती हैं और इसको सीमित करने के लिए स्मॉलकैप म्यूचुअल फंड में निवेश करती हैं. हाल में आई एक खबर से रचना काफी खुश हैं.
पिछले महीने मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी (MOAMC) ने मोतीलाल ओसवाल निफ्टी माइक्रोकैप 250 इंडेक्स फंड लॉन्च किया है. रचना अभी तक स्मॉलकैप फंड्स से ही बहुत खुश थीं. और अब तो माइक्रोकैप फंड्स भी आ गए हैं. उन्हें तो लगता है कि ये फंड बाजार के चीते बन सकते हैं. लेकिन क्या रचना का ये भरोसा सही है? क्या रचना या आप जैसे किसी भी निवेशक को माइक्रोकैप फंड में पैसा लगाना चाहिए?
मोतीलाल ओसवाल निफ्टी माइक्रोकैप 250 इंडेक्स फंड की विशेषताएं क्या हैं?
ये देश का पहला और फिलहाल एकमात्र ऐसा पैसिव फंड है जो कि माइक्रोकैप शेयरों में निवेश का फायदा दिलाता है. पैसिव फंड शेयर बाजार के किसी इंडेक्स की परिछाई की तरह होते हैं. पैसिव फंड का मुख्य उद्देश्य अपने बेंचमार्क इंडेक्स के बराबर रिटर्न देना होता है जबकि एक्टिव फंड इंडेक्स के रिटर्न को पछाड़ने की कोशिश करते हैं.
मोतीलाल ओसवाल निफ्टी माइक्रोकैप 250 इंडेक्स फंड है जो Nifty MicroCap 250 Index को कॉपी करता है. NSE की परिभाषा के मुताबिक माइक्रोकैप स्टॉक्स निफ्टी 500 शेयरों के बाद, यानी उनसे नीचे के टॉप 250 शेयर होते हैं. एवरेज टोटल मार्केट कैप के हिसाब से इन शेयरों को 501 से 750 तक के पायदान पर रखा जाता है.
मौजूदा समय में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट का सिर्फ 4 फीसदी हिस्सा ही माइक्रोकैप शेयरों में लगाया जाता है जबकि लार्जकैप शेयरों में 55%, मिडकैप में 23% और स्मॉलकैप में 15% हिस्सा निवेश होता है.
रिटर्न और जोखिम
लार्ज कैप कंपनियों की तुलना में माइक्रोकैप शेयरों में बार-बार और ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है. ये इन शेयरों में ज्यादा लिक्विडिटी, यानी खरीद-फरोख्त या फंडिंग की समस्या की वजह से होता है. इसका असर निवेशकों के रिटर्न पर भी पड़ता है. कम लिक्विडिटी, एनालिस्ट का सीमित कवरेज और बाजार में कमजोरी इस तरह के फंड के लिए कई नेगेटिव फैक्टर साबित हो सकते हैं. माइक्रोकैप कंपनियों में निवेश करने के लिए फंड मैनेजर्स को भी गहन रिसर्च और जोखिम प्रबंधन की जरूरत होती है.
माइक्रोकैप कंपनियों का मार्केट कैप 10 हजार करोड़ रुपए से कम होता है. निफ्टी Microcap 250 इंडेक्स में अगर रिटर्न की बात करें तो 20 जुलाई, 2023 तक के डेटा के मुताबिक इसने एक साल में 41%, तीन साल में 20% और पांच साल में 12% का रिटर्न दिया है. यानी ऐसे फंड्स से चीते जैसी दौड़ की उम्मीद की जा सकती है.
कितना है एक्सपेंस रेश्यो?
मोतीलाल ओसवाल निफ्टी माइक्रोकैप 250 इंडेक्स फंड का डायरेक्ट प्लान के लिए टोटल एक्सपेंश रेश्यो 0.40% सालाना है. इसी तरह रेगुलर प्लान के लिए इसका एक्सपेंश रेश्यो 1% सालाना है, यानी एक्सपेंस रेश्यो कम है. इसके अलावा, अगर आपने 15 दिन के भीतर यूनिट रीडीम कर लिए, तो एक फीसदी का एग्जिट लोड देना होगा. साथ ही इस फंड पर टैक्स इक्विटी म्यूचुअल फंड की तरह लगता है.
कौन करे निवेश, कौन रहे दूर?
SEBI या AMFI ने माइक्रोकैप फंड के लिए अभी कोई अलग इक्विटी कैटेगिरी नहीं बनाई है. एक्सपर्ट इन फंड्स में सिर्फ उन्हीं निवेशकों को निवेश करने की सलाह देते हैं जो ऊंचे जोखिम और इस तरह के फंड में होने वाले भारी उतार-चढ़ाव को झेल सकें. Moneyfront के Co-Founder और CEO मोहित गंग कहते हैं कि,
“इन शेयरों में लिक्विडिटी बहुत सीमित होती है और इनमें भारी उतार-चढ़ाव होता है. इसलिए ऐसे पैसिव फंड में सिर्फ उन अनुभवी निवेशकों को निवेश करना चाहिए जो कीमतों में तेज बदलाव को सहन कर पाएं और 10 साल से भी लंबे निवेश का होराइजन रखते हों. साथ ही, किसी के एग्रेसिव इक्विटी पोर्टफोलियो में इसका हिस्सा 5 से 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए. फिर भी अगर आपका इस तरह के फंड में निवेश का मन बन रहा हो तो अभी इनके प्रदर्शन का इंतजार करें. ये कॉन्सेप्ट अभी शुरुआती दौर में है और एक बार इनका रिटर्न पैटर्न देखने के बाद ही आपको निवेश पर विचार करना चाहिए.
ध्यान रहे कि अपने कुल पोर्टफोलियो का सिर्फ एक छोटा हिस्सा ही इस तरह के फंड में लगाएं. अगर आपको खुद समझ न आ रहा हो कि आपकी जोखिम लेने की क्षमता और रिटर्न की जरूरत कितनी है तो किसी फाइनेंशियल प्लानर की मदद जरूर लें इस बात का भी इंतजार करें कि इस दौड़ में कई नए फंड शामिल हों और सेबी माइक्रोकैप फंड्स के लिए एक आधिकारिक कैटेगिरी तैयार करे.
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