International Funds: अगर आप अंतरराष्ट्रीय बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड्स के जरिए विदेशी शेयरों में निवेश कर सकते हैं. विदेशी शेयरों में निवेश करना एक बड़ा फायदा ये रहता है कि आप अपने देश की अर्थव्यवस्था और यहां की स्थिति से जुड़े रिस्क कम कर पाते हैं और साथ ही विदेशी इकोनॉमियों की तेजी से अपने पोर्टफोलियो को मुनाफा दिला पाते हैं. विदेशी बाजार में निवेश करने के लिए अब एक और फंड आ गया है. एक्सिस म्यूचुअल फंड ने अपने नए फंड – ‘एक्सिस ग्लोबल इनोवेशन फंड ऑफ फंड’ (Axis Global Innovation Fund of Funds) की शुरुआत की घोषणा की है.
ये एक फंड ऑफ फंड है. यानी इस फंड में किया गया निवेश एक अंतरराष्ट्रीय फंड में निवेश करेगा ना कि सीधे ग्लोबल शेयरों. इस फंड का निवेश श्रॉडर इंटरनेशनल सिलेक्शन फंड ग्लोबल डिस्रप्शन में जाएगा. इक्विटी होने की वजह से इसमें वेल्थ जुटाने के लिए लंबी अवधि के लिए निवेश की सलाह दी जाती है. श्रॉडर के इस फंड का 57 फीसदी निवेश अमेरिकी बाजार में है और 10 फीसदी से करीब एशिया के विकसित देशों में.
एक्सिस के ये न्यू फंड ऑफर (NFO) सब्सक्रिप्शन के लिए सोमवार, 10 मई से खुला है और 21 मई को बंद होगा. NFO के वक्त NAV तय नहीं होती. जब फंड के यूनिट अलॉट होंगे और NAV तय होगी तब निवेशक इसमें फिर से खरीदारी कर सकेंगे.
इस NFO के दौरान न्यूनतम निवेश रकम 500 रुपये है. वहीं युनिट अलॉटमेंट के 12 महीने के अंदर अगर 10 फीसदी तक रकम रिडीम की तो कोई एक्जिट लोड (तय समय से पहले निवेश निकालने पर लगने वाली फीस) नहीं लगेगी. लेकिन वहीं अगर 10 फीसदी से ज्यााद रिडीम किया तो 1 फीसदी एक्जिट लोड लगेगा. 1 साल बाद पैसा निकालने पर कोई चार्ज नहीं है.
NFO लॉन्च पर एक्सिस AMC के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, चंद्रेश कुमार निगम ने कहा, “एक्सिस एएमसी में, हम सफलतापूर्वक प्रोडक्ट इनोवेशन को विकसित करने और डायवर्सिफाइड सोल्युशंस में सबसे आगे रहे हैं ताकि लंबी अवधि के लिए हमारे निवेशकों को कमाई का विकल्प प्रदान किया जा सके.”
इस तरह के इंटरनेशनल फंड पहले भी आ चुके है तो क्या इस फंड में इन्वेस्टर्स को निवेश करना चाहिए? एक्सिस ग्लोबल इनोवेशन फंड ऑफ फंड्स (Axis Global Innovation Fund of Funds) को लेकर एक्सपर्ट क्या कहते हैं ये जानने की हमने कोशिश की.
फाइनेंशियल एडवाइजर्स को ट्रेनिंग देने वाली कंपनी एंकरएज के डायरेक्टर जिगर पारेख कहते हैं कि, इस तरह के फंड इन्वेस्टर को विदेशी शेयरों में निवेश के जरिए पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन देते है. भारत में तो आप फंड डायवर्सिफिकेशन करते ही हैं लेकिन ग्लोबल स्तर पर सीधे शेयरों में निवेश करने की सुविधा सीमित है. इस तरह के फंड ऑफ फंड्स निवेशकों को ग्लोबल मार्केट (International Funds) में पैसा लगाने का मौका देते हैं.
उनके मुताबिक निवेशक भारत के बाहर इन्वेस्ट करके और थोड़ा डायवर्सिफिकेशन कर के ग्रोथ का फायदा उठा सकते हैं. लेकिन इस फंड में इन्वेस्ट करने से पहले इन्वेस्टर को अपना पोर्टफोलियो देख लेना चाहिए.
पारेख आगे बताते हैं की इस तरह के फंड में 4 से 5 साल को ध्यान में रखकर निवेश करना चाहिए. अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह अनुसार 4 से 5 प्रतिशत एलोकेशन इस तरह के फंड में कर सकते हैं.
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर विशाल शाह के मुताबिक, “10 साल पहले ऐसा था कि लोग भारत में ही अलग-अलग फंड्स में निवेश करते थे लेकिन अब निवेश के लिए दुनिया के दरवाजे खुल चुके हैं. फंड ऑफ फंड्स का मतलब है कि आपका पैसा किसी दूसरी कंपनी के म्यूचुअल फंड में या उसी कंपनी के दूसरे फंड मे इन्वेस्ट हो रहा है.”
आप सीधे बाहर के किसी फंड में इन्वेस्ट नहीं कर सकते है तो इस तरह के फंड आपको वैश्विक फंड (International Funds) में निवेश का मोका देते है. इनके जरिए आप अपना इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो का दायरा बढा सकते हैं.
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