कोविड के डेढ़ साल की सुस्ती के बाद भारत आर्थिक रिकवरी की ओर कदम तेजी से बढ़ा रहा है. आर्थिक रिकवरी में सबसे आगे रहने वाले क्षेत्र हैं सीमेंट, मेटल, कंस्ट्रक्शन और एनर्जी क्षेत्री की कंपनियां जो किसी भी देश के इंफ्रा की ग्रोथ की नींव मानी जाती है. इन्हीं कंपनियों के दम पर देश तरक्की की कहानी लिखता है. अगर आपको भी इस ग्रोथ का भरोसा है और आप चाहते हैं कि देश के ग्रोथ के साथ आपका पैसा भी बढ़े तो इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर म्यूचुअल फंड का रास्ता है. इन सेक्टोरल फंड्स में 100 रुपये की SIP से भी निवेश किया जा सकता है.
कोविड-19 महामारी के डेढ़ सालों में अर्थव्यवस्था को काफी चोट पहुंची है. पिछले वित्त वर्ष में भारत की GDP में 7.3 फीसदी की गिरावट भी देखी गई. हालांकि, वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में ग्रोथ पॉजिटिव हुई और 1.6 फीसदी की दर से बढ़त दर्ज की गई. इस वित्त वर्ष में भी कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप रहा जिसकी रोकथाम के लिए कई राज्यों में प्रतिबंध लगाए गए. इसी कारण कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत का ग्रोथ अनुमान घटाया है. लेकिन, ये अब भी 9.5 फीसदी के करीब रहने के कयास लगाए गए हैं.
अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए देश के इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की भूमिका अहम रहती है और यही वजह है कि इंफ्रास्ट्रक्चर वाली कंपनियों में रुझान भी अच्छा है. इंफ्रास्ट्रक्चर में अकसर सीमेंट, कंस्ट्रक्शन, मेटल और एनर्जी क्षेत्र की कंपनियां शामिल होती हैं. हाउसिंग फॉर ऑल, स्मार्ट सिटी जैसी सरकारी पहल से भी इन्हीं क्षेत्रों को फायदा होगा. वहीं, L&T जैसी कैपिटल गुड्स कंपनियों को मार्च तिमाही में मुनाफा भी अच्छा हुआ था.
निफ्टी इंफ्रा की 30 कंपनियों में से 28 ने इस साल में अब तक मजबूती दिखाई है. इसी में से 8 कंपनियों ने जनवरी से अब तक 50 फीसदी से ज्यादा की कमाई कराई है.
ये सेक्टोरल या थीमैटिक म्यूचुअल फंड्स कहलाते हैं क्योंकि ये सिर्फ एक ही सेक्टर में निवेश करते हैं. इनका ज्यादातर निवेश इक्विटी यानी शेयर बाजार में होता है इसलिए इनमें जोखिम भी है. एक्सपर्ट कहते हैं कि सेक्टोरल फंड में जोखिम ज्यादा होता है क्योंकि फंड में डायवर्सिफिकेशन नहीं है और एक सेक्टर के प्रभावित होने पर आपके फंड के प्रदर्शन पर भी असर पड़ेगा. हालांकि, अगर आप जोखिम ले सकते हैं तो ही इनपर दांव लगाएं.
इन फंड्स के निवेश का बड़ा हिस्सा कंस्ट्रक्शन, एनर्जी और इंजीनियरिंग कंपनियों की ओर होता है. मसलन, ICICI प्रुडेंशियल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का 20.10 फीसदी निवेश कंस्ट्रक्शन कंपनियों में है जबकि टाटा इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का इसमें 32.34 फीसदी एक्सपोजर है.
इसी सेक्टर के फ्रैंकलिन बिल्ड इंडिया फंड (डायरेक्ट प्लान) में अगर आपने 5 साल पहले 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश किया होता तो आज ये दोगुना होकर 2.04 लाख रुपये हो चुका होता. वहीं, टाटा इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में किया एक लाख रुपये का निवेश बढ़कर 1.88 लाख रुपये हो चुका होता. हर महीने 10,000 रुपये की SIP से भी अब तक 9 लाख रुपये से ज्यादा जुटा लिए होते.
इन फंड्स ने पिछले एक साल में 72 फीसदी तक के रिटर्न दिए हैं. वहीं 5 साल में रिटर्न 13 से 15 फीसदी के बीच रहे हैं. ध्यान दें कि फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स इक्विटी में निवेश लंबी अवधि के लिए रखने की सलाह देते हैं.
इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स के रिटर्न | |||
फंड (डायरेक्ट प्लान) | 1 साल | 3 साल | 5 साल |
फ्रैंकलिन बिल्ड इंडिया फंड | 70.52% | 15.99% | 15.36% |
टाटा इंफ्रास्ट्रक्चर फंड | 71.37% | 15.55% | 13.40% |
SBI इंफ्रास्ट्रक्चर फंड | 58.93% | 15.98% | 13.03% |
ICICI प्रुडेंशियल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड | 72.12% | 14.60% | 13.14% |
इन फंड्स में 100 रुपये जितनी छोटी रकम की भी SIP कर सकते हैं. ICICI प्रुडेंशियल फंड हाउस के इंफ्रा फंड में 100 रुपये के SIP की सुविधा है और टाटा इंफ्रा फंड में 150 रुपये की SIP की. वहीं, फ्रैंकलिन बिल्ड इंडिया और SBI इंफ्रा फंड में 500 रुपये की SIP की जा सकती है.
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