महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से कदमताल मिलाकर चल रहीं हैं . लेकिन क्या फाइनेंशियल प्लानिंग (Financial Planning) के लिए भी यही बात कही जा सकती है ? फिनफिक्स (FinFix) की फाउंडर प्रबलीन बाजपेयी बताती हैं कि पुरुषों को जब अपने दोस्तों को पैसे उधार देने होते हैं तो शायद ही वो कभी अपनी पत्नी से सलाह-मश्विरा करते हैं लेकिन वहीं कभी महिलाओं को छोटी सी रकम भी उधार देनी हो तो वो अपने पार्टनर से पूछती हैं. और इसे बदलने की जरूरत है. महिलाओं को खुद अपने पैसों के खर्च और इन्वेस्टमेंट की जिम्मेदारी लेनी होगी.
कामकाजी महिलाएं जो पैसा कमाती हैं वो भी अपने भाई/ पिता या पति के बनाए फाइनेंशियल प्लान (Financial Planning) के अनुसार ही चलती हैं. महिलाओं के पैसों की प्लानिंग (Financial Planning) अलग होनी चाहिए क्योंकि उनकी जरूरतें अलग होती है. आज भी कई सेक्टर्स में महिलाओं और पुरुषों की सैलरी में अंतर है. इस अंतर की वजह से एक ही जैसे कॉरपस के लिए महिलाओं को ज्यादा पैसे बचाने और निवेश करने होंगे. वहीं महिलाओं की उम्र अक्सर पुरुषों से ज्यादा होती है, इसलिए रिटायरमेंट जैसी जरूरतों के लिए ज्यादा पैसे जमा करने होंगे. महिलाओं को जॉब ब्रेक के लिए तैयार रहना पड़ता है – कभी शादी, कभी पति का ट्रांसफर तो कभी प्रेग्नेंसी या फिर तलाक जैसे परिस्थितियों से भी गुज़रना पड़ सकता है. इसलिए ज़रूरी है कि हर महिला के पोर्टफोलियो दो चीज़ें हों – एक बफर/इमरजेंसी फंड (Emergency Fund) और दूसरा खुद के लिए रिटायरमेंट प्लान.
प्रबलीन बाजपेयी के मुताबिक महिलाएं बचत करना तो खूब जानती हैं, लेकिन अब बारी हैं इस बचत के निवेश की – यानि सेव नहीं, इन्वेस्ट कर. महिलाएं जो फाइनेंशियल प्लान (Financial Planning) बनाती हैं वो उसमें टिकी भी रहती हैं. औरतें पैसों के मैनेजमेंट में माहिर होती हैं लेकिन जरूरी है कि वो इसकी शुरूआत करें. फाइनेंशियल लिट्रेसी के हफ्ते महिलाओं को अपनी आर्थिक सुरक्षा की जरूरत समझनी चाहिए और इस ओर कदम बढ़ाना चाहिए.