टैक्स बचत के लिए विंडो है छोटी सी लेकिन निवेश हैं कई. सेक्शन 80C के तहत आप होम लोन, इंश्योरेंस, PPF, यूलिप से लेकर NPS और अन्य कई रिटायरमेंट निवेश प्रोडक्ट चुन सकते हैं. इसी कैटेगरी में टैक्स बचत वाले म्यूचुअल फंड भी शामिल हैं जिन्हें ELSS कहा जाता है. ELSS यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम. निवेश विकल्प हैं कई लेकिन लिमिट है डेढ़ लाख रुपये. अब जब आप टैक्स बचत के लिए कुछ निवेश करना ही चाहते हैं तो कोई ऐसा विकल्प क्यों ना चुनें जो बाकियों के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद हो.
प्रोमोर फिनटेक (ProMore Fintech) की को-फाउंडर और CFP निशा संघवी मानती हैं जो युवा टैक्स स्लैब में आते हैं वे ELSS फंड्स के जरिए शुरुआत कर सकते हैं. हालांकि, इससे जुड़े जोखिम और लॉक-इन के नियम उन्हें समझने होंगे.
ELSS ना सिर्फ अन्य टैक्स बचत विकल्पों से कम लॉक-इन अवधि के साथ आता है बल्कि रिटर्न के मायने में भी ये आगे है. म्यूचुअल फंड की ये इकलौती ऐसी कैटेगरी है जिसपर टैक्स छूट ली जा सकती है. इन स्कीमों में सिर्फ 3 साल का लॉक-इन रहता है.
हालांकि, अगर आप SIP के जरिए निवेश कर रहे हैं तो हर SIP को अपना 3 साल पूरा करना होगा. यानी, अगर मई 2021 में 10,000 रुपये की SIP की है तो इस रकम के जरिए खरीदी गई यूनिट्स को आप मई 2024 में रिडीम कर पाएंगे, जबकि दिसंबर 2021 में की गई SIP के यूनिट को दिसंबर 2024 में रिडीम कर सकेंगे. यही वजह है कि कई फाइनेंशियल एक्सपर्ट इसमें हर साल एकमुश्त रकम लगाने की सलाह देते हैं.
निशा संघवी की सलाह है कि जैसे लोग PPF का निवेश 1 अप्रैल को करते हैं वैसे ही वे वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही इस रकम को निवेश कर सकते हैं. हालांकि, इक्विटी बाजार में एकमुश्त निवेश करने पर जो जोखिम है वो इस निवेश पर भी बना रहेगा. वे कहती हैं कि SIP के जरिए निवेश पर हर किस्त का 3 साल पूरा होना जरुरी है.
इक्विटी यानी शेयर बाजार से जुड़े निवेश होने की वजह से इनमें जोखिम जरूर है. यही वजह है कि रिस्क के साथ इसमें बड़े रिटर्न की उम्मीद रहती है. ऐसे निवेशक जो जोखिम ले सकते हैं वे ELSS कैटेगरी के निवेश पर विचार कर सकते हैं.
इक्विटी कैटेगरी होने की वजह से अगर आप इसमें 3 साल बाद भी निवेश जारी रखना चाहें तो रख सकते हैं.
ELSS कैटेगरी में ढेरों फंड मौजूद हैं. अधिक्तर सभी फंड हाउस इस कैटेगरी के फंड उपलब्ध कराते हैं. उनमें से 3 साल की अवधि में बेस्ट प्रदर्शन वाले फंड्स टेबल में देखें. इसमें पिछले एक साल में क्वांट टैक्स प्लान (ग्रोथ प्लान) ने 126 फीसदी का रिटर्न दिया है और 3 साल की अवधि में 27.86 फीसदी के रिटर्न के साथ टॉप परफॉर्मर साबित हुआ है. यानि, पिछले एक साल में इसमें किया गया 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश बढ़कर 2.31 लाख रुपये हो गया है — दोगुना से भी ज्यादा. फंड ने अपने बेंचमार्क इंडेक्स को आउटपरफॉर्म किया है.
इसी कैटेगरी के मिराए एसेट टैक्स सेवर फंड ने भी एक साल में 85.5 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है और 3 साल में लगभग 19 फीसदी का रिटर्न. गौरतलब है कि सेंसेक्स ने एक साल में 64 फीसदी के रिटर्न दिए हैं. इसके अलावा, कैनरा रोबेको इक्विटी टैक्स सेवर फंड, DSP टैक्स सेवर फंड और कोटक टैक्स सेवर फंड भी 3 साल और 5 साल की अवधि में टॉप परफॉर्मर रहे हैं.
ELSS में किया गया निवेश सेक्शन 80C की सालाना डेढ़ लाख रुपये की टैक्स छूट में शामिल है. हाालंकि, फंड से हुई कमाई अगर एक साल में 1 लाख रुपये से ज्यादा है तो इसपर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा. दरअसल, इक्विटी कैटेगरी का निवेश होने के नाते इसमें इक्विटी जैसे ही टैक्स लगते हैं. मतलब ये कि निवेश की रकम पर डिडक्शन ले सकते हैं हालांकि मुनाफा 1 लाख रुपये से ज्यादा हुआ तो टैक्स देनदारी होगी.
निशा संघवी कहती हैं कि अगर आपने 2 लाख रुपये का मुनाफा हुआ है तो सिर्फ 1 लाख रुपये के मुनाफे पर ही 10 फीसदी का टैक्स लगेगा.
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