डेट म्यूचुअल फंड्स के करीब 1.08 लाख करोड़ रुपए के एसेट स्ट्रेस यानी दबाव में हैं. मार्च 2023 तक किए गए एक स्ट्रेस टेस्टिंग एनालिसिस में यह खुलासा हुआ है. करीब 14 म्यूचुअल फंड्स के एसेट्स पर इस तरह का दबाव देखा गया है.
एक रिपोर्ट के अनुसार मार्च तक डेट फंड के जिन कुल 10.95 लाख करोड़ रुपए के एसेट अंडर मैनेजमेंट यानी AUM का टेस्ट किया, उनमें से करीब 1.08 लाख करोड़ यानी करीब 10 फीसदी एसेट पर दबाव देखा गया.
क्यों होता है टेस्ट?
सेबी के नियमों के मुताबिक सभी ओपन एंडेड डेट स्कीम का स्ट्रेस टेस्ट मंथली आधार पर किया जाता है. यह टेस्ट इस बात का आकलन करने के लिए किया जाता है कि रेट रिस्क, क्रेडिट रिस्क, लिक्विडिटी रिस्क और रीडेम्पशन रिस्क जैसे विभिन्न रिस्क फैक्टर का असर क्या है.
बिजनेस लाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार रिजर्व बैंक ने इस स्ट्रेस रिपोर्ट की जो जानकारी दी है उसके मुताबिक 295 में से 24 डेट स्कीम किसी न किसी तरह के क्रेडिट इंट्रेस्ट रेट और लिक्विडिटी रिस्क के तहत हैं. इसके पहले सितंबर 2022 और मार्च 2022 में भी जब ऐसे टेस्ट किए गए थे, तो ऐसा कोई जोखिम नहीं पाया गया था.
क्या हुआ बदलाव?
असल में मार्च में डेट फंड्स से भारी निकासी हुई है. सरकार ने इस साल मार्च में डेट फंड्स पर टैक्स के नियमों में बदलाव करते हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स पर मिलने वाले इंडेक्सेशन बेनिफिट को खत्म कर दिया था. इसके पहले किसी डेट म्यूचुअल फंड की यूनिट तीन साल के बाद बेचने पर उसमें 20 फीसद का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता था और उस पर इंडेक्सेशन का बेनिफिट भी मिलता था. इसकी वजह से निवेशकों ने मार्च तिमाही में डेट फंड्स से करीब 81,015 करोड़ रुपए की निकासी कर ली थी.
आउटफ्लो यानी निकासी की वजह से डेट फंड्स को समय-समय पर रीडेम्पशन ऐट रिस्क यानी RaR और कंडीशनल रीडेम्पशपन ऐट रिस्क यानी CRaR का सामना करना पड़ा. सभी फंड्स को RaR और CRaR जैसे लिक्विडिटी रेश्यो को एक तय सीमा के ऊपर रखना होता है.