एक ओर महंगाई का दबाव है तो वहीं दूसरी ओर FD के गिरते ब्याज दर. वहीं Fixed डिपॉजिट जैसे विकल्पों में आपको पैसा लॉक-इन करने पर ये भी डर रहता है कि कही कोविड के दौर में अचानक पैसों की जरूरत पड़ी तो मैच्योरिटी से पहले इसे तोड़ना पड़ सकता है. अगर आप सोच रहे हैं कि ऐसा कोई और विकल्प नहीं जो Fixed Deposit जैसी सुरक्षा के साथ ही अच्छे रिटर्न दे सकता है तो आप डेट कैटेगरी के बैंकिंग एंड PSU फंड (Banking & PSU Debt Fund) पर विचार कर सकते हैं.
ये डेट कैटेगरी के फंड हैं. यानी निवेशकों से पैसा जमा कर ये फंड बैंकों और सरकारी कंपनियों के बॉन्ड और कमर्शियल पेपर्स में निवेश करते हैं. बॉन्ड, कमर्शियल पेपर्स के जरिए कंपनियां बाजार से पैसा उधार पर लेती हैं और इसके बदले एक कूपन रेट (ब्याज) देती हैं. यही वजह है ऐसे विकल्पों को भी फिक्स्ड इनकम निवेश कहा जाता है.
बैंकिंग एंड PSU डेट फंड (Banking & PSU Debt Fund) सिर्फ ऊंचे क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनियों और बैंकों के बॉन्ड में निवेश करते हैं. इसलिए इन्हें बेहद ही सुरक्षित निवेश माना जाता है. अच्छी क्वालिटी और सरकारी की तरफ से बैकिंग होने की वजह से उनमें ना के बराबर जोखिम माना जाता है. हालांकि, इनमें भी अर्थव्यवस्था में इंटरेस्ट रेट बढ़ने से जुड़े जोखिम जरूर हैं. बड़े बैंक और अच्छी क्वालिटी की सरकारी कंपनियां होने की वजह से डिफॉल्ट का रिस्क बेहद कम होता है.
अलग-अलग बैंकों में FD पर मौजूदा ब्याज दर 5 फीसदी के करीब है. इसके सापेक्ष में बैंकिंग एंड PSU डेट फंड ने पिछले 1 साल में 7-8 फीसदी का रिटर्न दिया है. वहीं 3 साल की अवधि में 9 से 10 फीसदी तक का रिटर्न कमाकर दिया है. यही वजह है कि इन्हें 2-3 साल की अवधि के लिए बेस्ट माना जाता है. गौर करें, तो FD पर 3 साल की अवधि में 10 फीसदी तक के रिटर्न देखे बरसों हो चुके हैं.
मसलन, अगर एक्सिस या निपॉन इंडिया के बैंकिंग एंड PSU डेट फंड में तीन साल पहले 10,000 रुपये की SIP शुरू की होती तो आपके पास अभी 4.08 लाख से 4.13 लाख रुपये के बीच रकम जमा हो चुकी होती. यानि आपने फंड में 3 साल में जमा किया 3.6 लाख रुपये और ब्याज से कमाई हुई 40 हजार से 50 हजार रुपये के बीच.
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) अपने मैनेजमेंट फीस के तौर पर एक्सपेंस रेश्यो चार्ज करती हैं. इन फंड्स में एक्सपेंस रेश्यो 0.2 से 0.4 फीसदी के बीच है. वहीं, अक्सर सभी बैंकिंग एंड PSU फंड में एक्जिट लोड शून्य होता है. यानी आपको जब जरूरत हो आप पैसा निकाल सकते हैं. निवेश की कोई सीमा तय ना होने से आपको पैसे निकालने पर पेनाल्टी नहीं देनी होगी.
इन फंड्स पर डेट फंड (Debt Fund) के ही टैक्स नियम लागू हैं. यानी 3 साल बाद निवेश से हुई कमाई (कैपिटल गेन) पर 20 फीसदी का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा लेकिन इसपर आपको इंडेक्सेशन का फायदा मिलेगा. इंडेक्सेशन का मतलब है आपकी कमाई से महंगाई की वजह से बढ़े कॉस्ट को हटाकर आपका लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा.
वहीं अगर, 3 साल से पहले आपने निवेश निकाला है तो फंड से हुए मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा. अगर आपको 1 लाख का मुनाफा हुआ तो ये रकम आपकी टैक्सेबल आय में जोड़ी जाएगी और आपकी इनकम स्लैब के मुताबिक टैक्स लगेगा.
मनीफ्रंट (Moneyfront) के फाउंडर मोहित गांग सुरक्षित निवेश के लिए बैंकिंग एंड PSU डेट फंड को बेहतरीन विकल्प मानते हैं. उनका कहना है कि इनमें ना सिर्फ निवेश की सुरक्षा है बल्कि अच्छे रिटर्न की भी संभावना रहती है जो Fixed Deposit से कहीं ज्यादा है.
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