Successful Investor: आशीष चुघ ऐसे निवेशक हैं जो बाजार की चाल पर नजर नहीं रखते. हां, लेकिन जब वे परिवार के साथ मौज-मस्ती नहीं कर रहे होते या फिर दिल्ली की गलियों में स्ट्रीट फूड का मजा लेते नहीं पाए जाएं, तब वे आपको शेयरों पर रिसर्च करते नजर आएंगे.
वे कहते हैं कि चना भटुरा, दोसा और चाइनीज उनकी खास पसंद हैं.
इसी तरह, उनकी शेयरों की पसंद भी काफी खास है.
बजाजा फिनसर्व, अवंती फीड्स, महाराष्ट्र स्कूटर्स, नैटको, हेरिटेज फूड्स, तिरुमलाई केमिकल्स और TCI जैसे शेयरों से उन्हें फाइनेंशियल फ्रीडम हासिल करने में मदद मिली है.
तकरीबन दो दशक पहले, साल 2000 में चुघ ने बतौर निवेशक अपना सफर शुरू किया. इसे पहले वो इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग कर रहे थे और बाद में कुछ समय के लिए परिवार का व्यवसाय भी संभाला. इसके लिए उन्होंने MBA भी हासिल किया था. लेकिन, इस व्यवसाय को जल्द ही वे छोड़ इन्वेस्टर बने.
चुघ कहते हैं, “फाइनेंशियल फ्रीडम की ओर मेरा सफर साल 2003 में शुरू हुआ जब बाजार बियर फेय यानी गिरावट के दौर में थे और मेरे पास काफी कम पैसे ही निवेश के लिए थे. आम तौर पर सैलरी पाने वाले व्यक्ति के लिए फुल टाइम इन्वेस्टर बनने का सफर बुल मार्केट में शुरू होता है जब उन्होंने बड़ा मुनाफा कमाया हो. लेकिन, मेरा साथ मामला उल्टा था.”
भले ही उनके पास लगाने के लिए पैसा कम था लेकिन उनपर EMI या घर के किराये जैसे खर्च का बोझ नहीं था क्योंकि वो घर उनके माता-पिता का था.
अपने हिस्से की इसी किस्मत के साथ उन्होंने खोज शुरू की अच्छे स्मॉलकैप शेयरों की जिनका फंडामेंटल अच्छा हो.
शेरलॉक होम्स हो या कहानियों में बसा कोई और जासूस, चुघ भी निवेशक के तौर पर ऐसे ही किसी मैग्निफाइंग ग्लास को हाथ में पकड़े नजर आते हैं जो किसी सफलता के सुराग की तलाश कर रहे हों.
किसी मंझे हुए जासूस की ही तरह चुघ ने मल्टीबैगर्स की पहचान की है वो भी तब शेयर कुछ शॉर्ट टर्म निगेटिविटी की वजह से बेहद ही सस्ते भाव पर ट्रेड कर रहा हो.
वे अपना सफर याद करते हुए कहते हैं, “मैं खुशकिस्मत रहा क्योंकि स्मॉलकैप शेयरों में साल 2003 से 2007 के बीच 5 से 50 फीसदी तक की रफ्तार देखने को मिली. मैं पूरी तरह इक्विटी में ही निवेशित था – यूं कहे कि सही समय पर सही जगह था और यही वजह रही कि मेरे पास और निवेश के लिए कैपिटल जमा हुआ.”
चुघ की खासियत है कि वे आपको बातों में उलझाना जानते हैं. अपने विनीत व्यवहार, मद्धम आवाज से वे निवेशकों के बीच भी मशहूर हुए और अन्य निवेशकों के लिए मिसाल भी बने. यही वजह है कि सोशल मीडिया पर भी उन्हें इसी तरह का सद्भाव मिला और ट्विटर पर अब उनके 1 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.
दलाल स्ट्रीट पर अक्सर उन्हें हिडन जेम यानी छुपा-रुस्तम नाम से जाना जाता है. हिडन जेम नाम से ही उन्होंने एक सब्सक्रिप्शन आधारित न्यूजलेटर साल 2003 में शुरू किया. इस सब्सक्रिप्शन से होने वाली आय से उनके घर का खर्च भी निकला और वे कुछ रकम निवेश के लिए भी लगा पाएं.
वे कुछ समय के लिए हिडेन जेम्स नाम के शो के लिए टीवी चैनल पर भी नजर आए. ये शो छोटी कंपनियों पर फोकस करता था जो आम निवेशकों के रडार से छूट जाते थे.
पिटिर लिंच की वन-अप ऑन वॉल स्ट्रीट से लेकर रैल्फ वैंगर की ‘ए जिब्रा इन लायन कंट्री’ उनकी पसंदीदा किताबें हैं, लेकिन निवेश पर किताबों से ज्यादा वे कंपनियों की सालाना रिपोर्ट के पन्नों पर नजर डालना पसंद करते हैं.
लेकिन, शेयर बाजार के खिलाड़ियों जैसे राकेश झुनझुनवाला, मधु केला और सुनील सिंघानियां की वे काफी सराहना करते हैं. वे कहते हैं, “मैं मधु केला को फॉलो करता हूं क्योंकि वे कभी ना हार मानने वाला रवैया रखते हैं. उन्होंने अपने एग्रेसिव स्टाइल की वजह से शेयर बाजार में बड़े उतार-चढ़ाव देखे हैं लेकिन हर बार जब लगता है कि वे कमजोर पड़ रहे हैं वो बाउंस के साथ लौटते हैं.”
नए निवेशकों के लिए उनकी सलाह है कि वे पहला कदम म्यूचुअल फंड या प्रोफेशनल मनी मैनेजर के साथ उठाएं. इक्विटी की समझ और शुरुआत करने के लिए छोटी रकम जरूर रखें.
हालांकि, उनका सुझाव है शुरुआत जल्द से जल्द करें.
चुघ कहते हैं, “घर खरीदारी का फैसले लेने से पहले आप थोड़ा इंतजार कर सकते हैं. रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी पर भारत में यील्ड सामान्य तौर पर 2 से 2.5 फीसदी है. यही वजह है कि किराये पर घर लेकर रहना ज्यादा बेहतर है और बचे हुए पैसों से इक्विटी में निवेश करें. ऐसा नहीं करेंगे तो आपके वेल्थ जुटाने का सफर सुस्त रहेगा क्योंकि आप बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने में देंगे और निवेश के लिए आपके पास बेहद कम पैसे बचेंगे.”
वे निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे रिस्क मैनेजमेंट और वैल्यूएशन पर गौर करें. वे कहते हैं कि निवेशकों को समझना होगा कि बाजार में गिरावट के दौर में ही असली सीख मिलती है.
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