भारतीय खाद्य निगम यानी FCI अपनी शॉर्ट टर्म फंड की जरूरत को पूरा करने के लिए 50,000 करोड़ रुपए का कर्ज लेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एफसीआई ने अपने कैश फ्लो में विसंगति को दूर करने, अनाज की खरीद और वितरण के लिए तीन महीने की अवधि के कर्ज के लिए बैंकों से बोलियां मंगाई हैं. एफसीआई की ओर लिया जाने वाला यह कर्ज अनसिक्योर्ड होगा. भारतीय खाद्य निगम ने अपने बोली दस्तावेज में कहा है कि बैंकों के पास एमसीएलआर, रेपो या ट्रेजरी बिल दरों से जुड़ी दरों की पेशकश करने का विकल्प है.
बता दें कि वित्त वर्ष 2024 में भारतीय खाद्य निगम ने 75,000 करोड़ रुपए की अल्पकालिक ऋण सीमा को मंजूरी दी थी. सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 2022-23 में भारतीय खाद्य निगम ने कुल 1.18 लाख करोड़ रुपये का शॉर्ट टर्म लोन लिया था, जिसमें से मार्च 2023 तक 3,000 करोड़ रुपए बकाया थे.
चालू वित्त वर्ष में एफसीआई के द्वारा लिए गए कर्ज की तीसरी किश्त है. एफसीआई ने इस साल जून और सितंबर में दो किश्त में कर्ज लिया है. प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) योजना के विस्तार के कारण एफसीआई यह अतिरिक्त कर्ज लेगी. 2022-23 में भारतीय खाद्य निगम ने बैंकों से लिए गए 1.28 लाख करोड़ रुपए के कर्ज को वापस चुकाए हैं.