भारतीय रिजर्व बैंक के लगातार पांचवीं बार रेपो दर को स्थिर रखने के बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने चुनिंदा अवधियों के लिए अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट यानी सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (MCLR) में 5-10 आधार अंकों का इजाफा किया है. ऐसे में एसबीआई से होम या ऑटो लोन लेने वालों को अब ज्यादा मासिक किस्त (EMI) चुकानी पड़ेगी. बैंक ने ये घोषणा 15 दिसंबर यानी आज की है.
बैंक ने ये फैसला 8 दिसंबर, 2023 को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के नेतृत्व वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) के लगातार पांचवीं बार रेपो दर को 6.5% पर बनाए रखने के निर्णय के बाद लिया है. एमसीएलआर में बढ़ोतरी से मौजूदा और नए दोनों तरह के लोन पर मासिक किस्त (EMI) में इजाफा होगा. जो ग्राहक लोन के लिए आवेदन कर रहे हैं उन्हें महंगी ब्याज दर पर कर्ज लेना पड़ेगा. हालांकि यह ध्यान रखना जरूरी है कि एमसीएलआर-आधारित ऋणों की एक रीसेट अवधि होती है, जिसके बाद उधारकर्ता के लिए दरों को संशोधित किया जाता है.
एसबीआई की वेबसाइट के अनुसार, नई दरें तत्काल प्रभाव से लागू हो गई हैं. 1 महीने के लिए MCLR 8.20%, 3 महीने की अवधि के लिए 8.20%, 6 महीने की अवधि के लिए 8.55%, 1 साल के लिए 8.65%, 2 साल के के लिए 8.75% और 3 साल की अवधि के लिए 8.85% होगी.
Tenor
Existing MCLR (%)
Revised MCLR (%)
Overnight
8.00%
8.00%
One Month
8.15%
8.20%
Three Month
8.15%
8.20%
Six Month
8.45%
8.55%
One Year
8.55%
8.65%
Two Years
8.65%
8.75%
Three Years
8.75%
8.85%
क्या होता है MCLR?
एमसीएलआर को अप्रैल 2016 में पेश किया गया था, यह न्यूनतम ब्याज दर को दर्शाता है. आरबीआई के नियम के तहत MCLR से नीचे वित्तीय संस्थान कुछ मामलों को छोड़कर पैसा उधार नहीं दे सकते हैं. होम, कार और पर्सनल लोन जैसे अधिकांश उपभोक्ता ऋण की ब्याज दर एक साल वाली MCLR के आधार पर ही तय होती है. सामान्य तौर पर एमसीएलआर के कम होने से ब्याज दरें घटती हैं, नतीजतन उधारकर्ताओं को ईएमआई कम चुकानी पड़ती है. वहीं उच्च एमसीएलआर से उधारकर्ताओं के लिए ब्याज दरें बढ़ जाती है, जिससे ज्यादा किस्त चुकानी पड़ती है.