पिछले कुछ समय से क्रेडिट कार्ड के जरिए लोन लेने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है.
बैंकों और गैर वित्तीय संस्थानों की ओर से धड़ल्ले से अनसिक्योर्ड लोन बांटा जा रहा है, लेकिन इससे होने वाले डिफॉल्ट के खतरे को देखते हुए आरबीआई ने पहले चिंता जताई थी. माना जा रहा था कि इससे जुड़े मौजूदा नियमों में बदलाव किए जा सकते हैं. हालांकि केंद्रीय बैंक वर्तमान में बैंकों के अनसिक्योर्ड लोन पोर्टफोलियो से संबंधित मौजूदा मानदंडों में बदलाव नहीं करना चाहता है. आरबीआई के मुताबिक अभी इस सेक्टर में अभी ज्यादा खतरा नहीं दिख रहा है.
बता दें भारतीय बैंकों ने अनसिक्योर्ड लोन में तेज वृद्धि देखी है. ज्यादातर लोग व्यक्तिगत ऋण और क्रेडिट कार्ड के जरिए लोन लेना पसंद कर रहे हैं. यही वजह है कि इसनेपिछले वर्ष में लगभग 15% की समग्र बैंक ऋण वृद्धि को पीछे छोड़ दिया है. यही वजह है कि आरबीआई का ध्यान इस ओर गया.
आरबीआई के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि क्रेडिट कार्ड से लिए गए लोन में बैंकों की बकाया प्राप्तियां 25 अगस्त तक बढ़कर 2.18 ट्रिलियन रुपए हो गईं है, जो एक साल पहले 1.68 ट्रिलियन रुपए थी. इसी अवधि में बकाया व्यक्तिगत ऋण में 26% की वृद्धि देखने को मिली है.
सूत्रों का कहना है कि इस समय अनसिक्योर्ड लोन से जुड़ा मसला अभी ज्यादा व्यापक नहीं है. यह अभी महज चार-पांच बैंकों तक ही सीमित है. ऐसे में आरबीआई ने पहले ही इन बैंकों को आगाह कर दिया है और अनसिक्योड लोन के लिए अपनी निगरानी मजबूत कर दी है. यही वजह है कि अभी इससे जुड़े नियमों में आरबीआई कोई बदलाव नहीं करना चाहता.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि केंद्रीय बैंक तेजी से बढ़ती व्यक्तिगत ऋण श्रेणियों की बारीकी से निगरानी कर रहा है. आरबीआई विशेष रूप से तीन से चार महीनों के लिए लिए गए 10,000 रुपए तक के छोटे व्यक्तिगत ऋणों में वृद्धि से चिंतित है. विश्लेषक भी बैंकों के असुरक्षित खुदरा ऋणों के खराब होने के बढ़ते जोखिम को लेकर सतर्क हैं। यूबीएस ने खुदरा असुरक्षित ऋणों में बढ़ते डिफॉल्ट जोखिमों का हवाला देते हुए इस महीने भारतीय बैंकों की रेटिंग घटा दी है.