भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपनी नई वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कई हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 10 फीसद खुदरा कर्जदार यानी रिटेल उधार लेने वाले मासिक किस्त (EMI) नहीं चुका रहे हैं. हालांकि वह 90 दिन की समय सीमा से पहले मासिक किस्त का कुछ भुगतान करके अपने खातों को एनपीए में जाने से बचा रहे हैं. ऐसे में आरबीआई (RBI) ने बैंकों, वित्तीय संस्थानों और पॉलिसी मेकर्स को इस ओर ध्यान देने को कहा है.
क्या होते हैं रिटेल लोन? जब हम बैंक या अन्य वित्तीय संस्थानों से व्यक्तिगत उपयोग के लिए लोन लेते हैं तो वह रिटेल यानी खुदरा लोन (Retail loan) की श्रेणी में आता है. होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन, एजुकेशनल लोन आदि खुदरा लोन कहलाते हैं. खुदरा लोन की सीमा 10 करोड़ रुपए तक है.
महंगाई और ऋण भुगतान का कनेक्शन आरबीआई ने महंगाई और समय पर ऋण भुगतान के बीच सीधा कनेक्शन भी बताया है. केंद्रीय बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर महंगाई 6% की सीमा को पार कर जाती है तो यह कई परिवारों के लिए ऋण चुकाने की क्षमता को जोखिम में डाल देती है. महंगाई बढ़ने पर तुरंत एक परिवार का खर्चा बढ़ जाता है, उन्हें अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ता है, जिससे ऋण चुकाने की उसकी क्षमता कम हो जाती है.
रिटेल लोन लेने वालों की संख्या बढ़ी इन दिनों रिटेल लोन लेने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है जो आगे भी जारी रहने का अनुमान है. यही वजह है कि ज्यादातर बैंकों और एनबीएफसी के क्रेडिट पोर्टफोलियो में खुदरा ऋण तेजी से बढ़े हैं. पिछले कुछ वर्षों में, खुदरा ऋणों की वृद्धि कुल ऋण पोर्टफोलियो की वृद्धि दर से कहीं अधिक हो गई है. आंकड़ों के अनुसार मार्च 2021 और मार्च 2023 के बीच, खुदरा ऋण 24.8% की दर से बढ़े हैं जबकि कुल कर्ज में सिर्फ 13.8% की दर से बढ़ोतरी हुई है. हालांकि सिस्टम स्तर पर खुदरा ऋण का एनपीए रेशियो मार्च 2023 तक 1.4% कम था. शेड्यूल कमर्शियल बैंक के तहत आने वाले विशेष खातों की हिस्सेदारी 7.4% पर अपेक्षाकृत अधिक थी.
असुरक्षित लोन को लेकर भी जताई चिंता आरबीआई की एक और चिंता है असुरक्षित ऋणों (Unsecured Loans) का लगातार बढ़ना. क्रेडिट कार्ड या अन्य तरीकों से लिए जा रहे अनसिक्योर्ड लोन की वृद्धि दर सुरक्षित ऋणों के मुकाबले ज्यादा हो गई है. इस सिलसिले में आरबीआई ने पहले चेतावनी भी जारी की थी. केंद्रीय बैंक की रिपोर्ट से पता चला है कि अगर महंगाई 6% की सीमा से अधिक बढ़ जाती है, तो जोखिम वाले ऋणों की संख्या में 9 प्रतिशत अंक की वृद्धि देखी जा सकती है.
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