भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने बिना गारंटी वाले कर्जों को देश की आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा बताया है. रिजर्व बैंक ने कहा है कि बिना गारंटी वाले कर्ज में असाधारण बढ़ोतरी के चलते RBI सतर्क है. केंद्रीय बैंक उन जोखिमों को चिह्नित कर रहा है, जो वित्तीय स्थिरता के सामने आ सकते हैं. RBI के डिप्टी गवर्नर जे स्वामीनाथन ने शुक्रवार को कहा कि मॉनिट्री पॉलिसी की घोषणा करते समय गवर्नर शक्तिकांत दास की इस संबंध में टिप्पणियां सिर्फ एक सलाह है. हालांकि रिजर्व बैंक ने बिना गारंटी वाले कर्ज से निपटने उपाय को लेकर पॉलिसी में कोई घोषणा नहीं की है.
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर जे स्वामीनाथन ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करेंगे कि हालात पर नियंत्रण के लिए बैंक, एनबीएफसी और फिनटेक उचित आंतरिक उपाय करेंगे.” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर RBI को कार्रवाई होती हुई नहीं दिखाई दी, तो वह इस पहलू की जांच करेगा.
इससे पहले दिन में गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि व्यक्तिगत ऋण के कुछ क्षेत्रों में बहुत अधिक वृद्धि हो रही है और RBI प्रारंभिक दबाव के किसी भी संकेत के लिए बारीकी से निगरानी कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘बैंकों और एनबीएफसी को सलाह दी जाएगी कि वे अपने आंतरिक निगरानी तंत्र को मजबूत करें, यदि कोई जोखिम है तो उसका समाधान करें और अपने हित में उपयुक्त सुरक्षा उपाय करें.’’
क्रेडिट कार्ड, व्यक्तिगत ऋण और सूक्ष्म वित्त जैसे बिना गारंटी के कर्ज में उच्च वृद्धि के बारे में बैंकिंग नियामक के चिंतित होने की खबरें पहले ही आ चुकी थीं. स्वामीनाथन ने बताया कि पिछले दो वर्षों में प्रणाली में 12-14 प्रतिशत की समग्र ऋण वृद्धि के मुकाबले बिना गारंटी वाले खुदरा ऋण में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस तरह इसमें असामान्य वृद्धि हुई है. उन्होंने वित्तीय संस्थानों को संबोधित करते हुए कहा कि अपने आंतरिक निगरानी तंत्र को मजबूत कीजिए, ताकि जोखिम पैदा होने पर उसे समय रहते नियंत्रित किया जा सके.