वित्त मंत्रालय की ओर से सरकारी बैंकों को गोल्ड लोन खातों की समीक्षा करने का आदेश दिया गया है. बता दें कि सोने की कीमतें ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई है ऐसे में सरकार ने गोल्ड लोन में जोखिम को देखते हुए गोल्ड लोन के प्रोसेस की समीक्षा का आदेश दिया है. दूसरी ओर एक चिंता और बढ़ गई है कि सोने के दाम में उछाल के बाद ऋणदाताओं ने मौजूदा लोन के ऊपर टॉप-अप लोन देना शुरू कर दिया है.
वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (DFS) ने सभी सरकारी बैंकों के प्रमुखों को 27 फरवरी को लिखे पत्र में 1 जनवरी 2022 से प्रत्येक गोल्ड लोन खाते की समीक्षा करने, कोलेट्रल वैल्यू का आकलन करने और कलेक्शन चार्जेस की जांच करने के लिए कहा है. बता दें कि सालाना आधार पर गोल्ड लोन में 17 फीसद की बढ़ोतरी और कीमतों में 16.6 फीसद की बढ़ोतरी के बीच यह चिंता उजागर हुई है. आंकड़ों के मुताबिक 26 जनवरी तक गोल्ड ज्वैलरी के बदले लोन 1,01,934 करोड़ रुपये था और 5 मार्च को सोने का भाव रिकॉर्ड 65,140 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया. वित्त मंत्रालय ने कहा कि उसने गोल्ड लोन पोर्टफोलियो के संबंध में नियमों की अवहेलना होते हुए दिखाई दिए हैं और यही वजह है कि निर्देश जारी किए गए हैं.
पोर्टफोलियो को ऑडिट करने का भी निर्देश
वित्त मंत्रालय ने पहले एक पत्र में बताया था कि जरूरी कोलैटरल के बिना कर्ज बांटा जा रहा है. गोल्ड लोन खातों पर लागू शुल्क और ब्याज के संग्रह में कई खामियां देखने को मिल रही है. डीएफएस ने बैंकों से पिछले दो वर्षों (जनवरी 2022 से जनवरी 2024) में वितरित और बंद किए गए खातों सहित गोल्ड लोन पोर्टफोलियो का ऑडिट करने के लिए कहा है. इसने बैंकों से बुनियादी प्रक्रिया को सत्यापित करने के लिए भी कहा, कि क्या बांटे गए कर्ज राशि के बदले उधारकर्ताओं से फिजिकल गोल्ड प्राप्त किया गया था. विभाग ने बैंकों से यह सत्यापित करने के लिए भी कहा कि क्या आभूषणों की शुद्धता और मूल्य का आरबीआई दिशानिर्देशों के अनुसार सही मूल्यांकन और दस्तावेजीकरण किया गया था.