अब बड़ी रकम वाले लोन बांटने से पहले प्राइवेट बैंकों को केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (CEIB) से मंजूरी लेनी पड़ेगी. सरकारी बैंकों की तरह अब प्राइवेट बैंकों को भी यह देखना होगा कि जिस कंपनी को वो कर्ज दे रहे हैं उसके खिलाफ कोई प्रवर्तन मामला लंबित है या नहीं. केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (CEIB) ने वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग को मंजूरी लेना सुनिश्चित करने को कहा है.
कर्ज देना मुश्किल
मंजूरी लेना अनिवार्य करने के बाद बैंकों के लिए ईडी/सीबीआई जांच का सामना करने वाली या बैड लोन वाली कंपनियों को कर्ज देना मुश्किल हो जाएगा. एंटीसीडेंट वेरिफिकेशन रिपोर्ट वित्तीय संस्थानों को CEIB से समय पर इनपुट के साथ किसी भी धोखाधड़ी गतिविधि के खिलाफ उचित कदम उठाने में मदद करती है. वर्तमान में यह केवल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर लागू होती है.
बैंकों की मर्जी
वर्तमान में, सरकारी बैंक CEIB से मंजूरी लिए बिना उच्च मूल्य के कर्ज नहीं बांट सकते हैं. CEIB किसी भी रिपोर्ट को तैयार करने से पहले आर्थिक अपराधियों के डेटा की जांच करता है. यह रिपोर्ट केवल बैंकों को जोखिम मूल्यांकन आंकने और उनके लिए एक निर्णय लेने के उद्देश्य से तैयार की जाती है. किसी संस्था को कर्ज देना या न देना बैंक पर निर्भर करता है, भले ही उसके खिलाफ जांच लंबित हो.
कितनी रिपोर्ट की गई तैयार
वित्तीय वर्ष 2022-23 में, उच्च कीमत के कर्ज को मंजूरी देने से पहले CEIB ने बैंकों के लिए 6,000 से एंटीसिडेंट रिपोर्ट तैयार की थी. इनकी कुल राशि 39 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा थी. वित्त वर्ष 2021-22 में कुल 4.5 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के लिए ऐसे 1,300 आवेदन आए थे.
निगरानी में संस्थाएं
जिन संस्थाओं को एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया गया है या जिनके खिलाफ धोखाधड़ी या मनी लॉन्ड्रिंग की जांच लंबित है, वे निगरानी में हैं. सूत्रों ने कहा कि ये रिपोर्ट ब्यूरो आर्थिक अपराध डेटाबेस के आधार पर तैयार की गई हैं.