अपना पर्सनल लोन स्टेटमेंट देखने के बाद संगीता दंग रह गई. वह पिछले ढाई साल से जो कर्ज चुका रही हैं उस पर रिड्यूसिंग की जगह फ्लैट रेट से ब्याज लग रहा है. यानी जितना ब्याज कर्ज की पहली किस्त पर लगा उतना ही आखिरी पर भी. कर्ज की राशि कम रह जाने के साथ यह नहीं घटा.
संगीता अकेली नहीं है. ज्यादातर लोग कर्ज लेते समय लोन डॉक्युमेंट पर एक के एक एक सिग्नेचर करते जाते हैं. न वे खुद उन डॉक्युमेंट को पढ़ते हैं और न एजेंट उनकी बारीकियों को समझाते हैं. और उन डॉक्युमेंट में क्या कुछ लिखा था जब यह पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. जैसा कि संगीता के साथ हुआ. इस तरह की घटना से बचने के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए.
किन बातों का रखें ध्यान? पहली बात तो यह जान लें कि आप दो जगह से पर्सनल लोन ले सकते हैं. पहला एनबीएफसी और दूसरा बैंक. अब आप कहेंगे कि इन दोनों में अंतर क्या है? तो जनाब यहां मोटा अंतर यह कि जिनको बैंक से लोन नहीं मिल पाता, वे एनबीएफसी यानी नॉन बैंकिंग फाइनेंसिंग कंपनीज के पास जाते हैं. कारण सीधा सा है कि एनबीएफसी से आसानी से, कम समय में और कम योग्यता पर ही लोन मिल जाता है. एनबीएफसी लोन देने के मामले में उदार होती हैं और बैंकों की लोन अप्रूवल प्रॉसेस सख्त होती है. यही कारण है कि एनबीएफसी की ब्याज दरें बैंकों की तुलना में काफी अधिक हो सकती हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट? सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी कहते हैं कि ग्राहकों को लोन के लिए सबसे पहले उस बैंक के पास जाना चाहिए, जहां उसका पहले से अकाउंट है. उस बैंक के पास पहले से ही आपकी क्रेडिट हिस्ट्री मौजूद होती है. इसलिए वहां आपको कम समय में कम ब्याज दर वाला लोन मिल सकता है. कुछ बैंक अपने ग्राहकों से प्री-अप्रूव्ड लोन की भी पेशकश करते हैं. वह मिल जाए तो क्या ही कहने. वहीं, अगर एनबीएफसी में आपका पहले से कोई लोन चल रहा है, तो आप वहां से भी लोन ले सकते हैं. दूसरी महत्वपूर्ण बात, ग्राहकों को पता होना चाहिए कि उनके लोन पर फ्लैट ब्याज दर लग रही है या रिड्यूसिंग. साथ ही जान लें कि कहीं ब्याज दर फ्लोटिंग तो नहीं है. फ्लैट ब्याज दर लोन की पूरी अवधि के दौरान एक समान होती है. यह लोन लेते समय मिली कुल मूल राशि पर लागू होती है. वहीं रिड्यूसिंग रेट लोन अवधि के दौरान धीरे-धीरे घटती जाती है. रिड्यूसिंग रेट बची हुई मूल राशि पर लागू होती है. वहीं, अगर आपकी ब्याज दर फ्लोटिंग है तो यह रेपो रेट जैसी बेंचमार्क दरों में बदलाव के साथ कम या ज्यादा हो सकती है. साफ है कि रिड्यूसिंग इंट्रेस्ट रेट में ही ग्राहको को सबसे अधिक फायदा है. मनी9 की सलाह जहां तक हो सके पर्सनल लोन लेना टालें. केवल जरूरत के लिए चाहत के लिए नहीं. लोन एनबीएफसी की जगह बैंक से लें कर्ज पर ब्याज किस दर से लग रहा जरूर देख लें.
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