जिन लोगों को बैंकों से आसानी से पर्सनल लोन नहीं मिल पाता वह गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) की मदद लेते हैं. ये कंपनियां बिना सिक्योरिटी के आसानी से लोन दे देती हैं. यहां तक कि जिन लोगों को सिबिल स्कोर अच्छा नहीं होता उन्हें भी लोन मिल जाता है. पिछले दिनों अनसिक्योर्ड लोन बांटने को लेकर आरबीआई (RBI) ने बैंक और एनबीएफसी को आगाह किया था. उसका असर अब दिखने लगा है. एनबीएफसी के अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन में मार्च तिमाही में 15 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है. उद्योग विकास परिषद और सीआरआईएफ हाई मार्क की ओर से जारी आंकड़ों यह जानकारी दी गई है.
क्यों आई गिरावट? विश्लेषकों के अनुसार इस गिरावट की वजह गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की ओर से मानकों में सख्ती है. आरबीआई ने भी इस बारे में सख्त हिदायत दी थी. नए क्रेडिट सेगमेंट को लेकर बनाए गए कड़े नियम भी इसका एक कारण है. अन्य जानकारों के मुताबिक पूरे क्रेडिट चक्र को देखते हुए, एसेट गुणवत्ता के लिहाज से स्थिति सकारात्मक बनी हुई है. इससे कम व मध्यम अवधि में कम ऋण लागत को बनाए रखने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, ब्याज दर चक्र अपने चरम पर है, जिससे इन ऋणदाताओं को मार्जिन में सुधार में फायदा होगा.
इन सेग्मेंट में आई गिरावट तीन साल से अधिक की अवधि के लॉन्ग टर्म लोन में 36 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है. वहीं लीज फाइनेंस में 41% की गिरावट आई है. इसके अलावा एक साल से कम के शॉर्ट टर्म लोन में भी 64% तक की गिरावट देखनो को मिली है. आवास ऋण भी 1% वर्ष-दर-वर्ष गिर गया है.
क्या होते हैं अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन? अनसेक्योर्ड लोन बिना किसी गारंटी के दिया जाता है. इस लोन में ग्राहक से किसी तरह की गारंटी या कोलेटरल नहीं किया जाता है. इसमें वित्तीय संस्थान ग्राहक की क्रेडिट हिस्ट्री, क्रेडिट स्कोर देखकर लोन देते हैं. इसमें कस्टमर की पिछली रिपेमेंट हिस्ट्री, इनकम सोर्स, छह महीने की सैलरी स्लिप या इनकम टैक्स रिटर्न को चेक किया जाता है. अनसेक्योर्ड लोन में सिक्योर्ड लोन के मुकाबले ब्याज दर ज्यादा होती है. इसमें लोन चुकाने का समय कम रहता है. इसमें आप पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन, इंस्टेंट लोन, क्रेडिट कार्ड लोन या बिजनेस लोन ले सकते हैं.
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